Book Title: Mallinath no Ras Author(s): Diptipragnashreeji Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 6
________________ ११६ अनुसन्धान-५० छपन कुमारी आवी ज्यांहि जिन माता नवराव्यां त्याहिं । भूषण वस्त्र पिहइरावी करी रख्यापोटली बाधी फरी ॥३६॥ पछइ ईद्र सुरगीर लेई जाय चोसठि ईद्रनि हाथे नाही । एक कोडि कलसा लखी साटि करी सनाथ लहइ शुभ वाटि ॥३७॥ चीवर कुडल देई करी जिनवरनि घरि मुकइ फरी । नंदीस्वर सुर यात्रा करी देवलोकमा पोहोता हरी ॥३८॥ प्रभावती जागी जेटलइ सूता पूजी दीठी तेटलइ । कुभ पीता खरचइ बहु दाम मलीनाथ पाड्यु त्याहा नाम ॥३९।। सूगंध कुशमनी माला बहु बीजा गंध भला जे सहु । एवी सेय सुगंधी जाय प्रभावती सुवा मंन थाय ॥४०॥ मली नाम ते माटइ धरयुं बीजु कार्ण ए आदरयुं । जीपसइ जीन मोहादीक मल । तेणइ नाम मली जीन भल ॥४१॥ अनुकरमई योवनवइ थाय नीलवरण दीपइ जिनराय । धनुष पंचवीस जेहनी काय लंछन कलस अछइ जीन पाय ॥४२॥ लख्यण एक सहइस नि आठ सबल रूप सुदर देह घाट ।। काशपगोत्र निं ईक्षाकवंश मेल्यां बहु त्याहा गुणनां अंश ॥४३।। मलीतणुं जग जंपइ नाम रूपिं नारि हरावइ काम । भ्रह्मचारणी न वरइ कहुं त्रणि ज्ञानिं जाणइ सहुं ॥४४॥ मिं पूरविं माया तप कर्यो तेणइ करमिं स्त्री-वेद ज वर्यो । पूर्व मंत्र म्हारा नर जेह सूंधो तप करता वली तेह ॥४५॥ छइ जीव ते राजा हुआ राज करइ ते सहुं जुजूआ । ते प्रतिबोधाई ज्यम सवे सोए ऊंपाय करुं हुं हवे ॥४६।। सोवनमइ प्रतीमा एक सार कीधो पोतानो आकार । पोली माथइ छीदर करइ एक कवल नीत्य मांहि धरइ ॥४७॥ एवइ नगर अयोध्या धणी प्रतिबध राजा अत्य गुणी । पदमावती राणी तस जोय तेहनो नाम-मोहोछव होय ॥४८॥ तीहा फूल तणो एक दडो कीधो पंचवरणनिं वडो । देखी राय रलीआयत थाय अशो दडो नही दुजइ ठाय ॥४९॥Page Navigation
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