Book Title: Mallinath no Ras Author(s): Diptipragnashreeji Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 1
________________ डिसेम्बर-२००९ १११ कवि ऋषभदास कृत श्रीमल्लिनाथनो रास सं. साध्वी दीप्तिप्रज्ञाश्री 'कवि ऋषभदास' ए मध्यकालना साहित्य-जगतनुं बहु ज जाणीतुं नाम छे. आ जैन श्रावके ३२ थी वधु रासाओ रच्या छे, अने लघु रचनाओ पण घणी रची छे. सत्तरमा सैकाना, खम्भात-जेने कवि 'त्रंबावती'ना नामे ओळखावे छे (क. १२९) - त्यां तेमणे आ रास सं १६८५ना वर्षे पोष शुदि १३ने रविवारे (क. २९०) रच्यो छे. ते समये खम्भातमा ८५ जिनालयो अने ४२ पौषधशालाउपाश्रयो हता एम कवि निर्देश आपे छे. (क. २८६) आ कविनी घणी रासादि रचनाओ प्रगट छे, प्रख्यात पण छे. तेमना विषे श्रीवाडीलाल जीवाभाई चोकसीए Ph.D. माटेनो शोधनिबन्ध आलेख्यो होवा- पण जाणवा मल्युं छे. ए निबन्ध प्रकाशित थाय तो कवि विषे घणी घणी जाणकारी प्राप्त थाय ए निःसन्देह छे. आ रचना जैन १९मा तीर्थंकर मल्लिनाथ भगवानना जीवनचरित्रनुं वर्णन करे छे. कविए ज निर्देश्युं छे तेम (क. २७८) जैन आगम-अंगसूत्र ज्ञाताधर्मकथाङ्गना आधारे तेमणे आ रास रच्यो छे. अर्थात् ते आगममां वर्णवेल 'मल्लिज्ञात'- गुजराती निरूपण ते आ रास एम समजी शकाय छे. दूहा, चोपई, ढाल वगेरेमां पथरायेला आ रासमां २९७ कडी छे. तेनी एक हस्तप्रति बोटादना 'आ. श्रीविजयलावण्यसूरिचित्कोश' माथी झेरोक्स नकलरूपे प्राप्त थई छे, जेना आधारे आ सम्पादन करेल छे. मने जाणवा मल्युं छे के आ प्रति ते कवि ऋषभदासे स्वहस्ते लखेली प्रति छे. ए जाणतां मने अनहद हर्ष अनुभवायो छे. मल्लिनाथ भगवाननुं जीवन होय, ते पण कविना हस्ताक्षर परथी ऊतारी तैयार करवानुं होय, तो केटलो आनन्द होय ! १४ पत्रोनी आ प्रतनी नकल आपवा माटे ते श्रीलावण्यसूरिचित्कोश-बोटादना कार्यकर्ताओनो हुँ अहीं आभार मानुं छु.Page Navigation
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