Book Title: Main to tere Pas Me
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 12
________________ विश्व में कोई भी योजना अधूरी नहीं है। मनुष्य तो क्या पशु-पक्षी, कीड़े-मकोड़े भी भूखे नहीं मरते । बच्चे को भूख लगनी स्वाभाविक है, किन्तु उसकी आपूर्ति अस्वाभाविक नहीं है । जिसने बच्चे के पेट में भूख दी है, उसने माता के स्तनों में दूध भी भरा है। जहाँ-जहाँ प्राण हैं, वहाँ-वहाँ उसकी प्रबन्ध-समिति सुगठित है। सुरक्षा के भी तो साधन हैं। फूल की सुरक्षा के लिए काँटों की अंगरक्षक टुकड़ियाँ भी हैं। ढेरसारे तजुबै आत्मसात् हो जाने के कारण इस बात पर मेरे विश्वास को लुढ़काया नहीं जा सकता। ( किसी योजना को साकार करने में संघर्ष करना पड़ सकता है, समय के फासले भी सम्भव हैं, असफलता का भूम भी हो सकता है, पर सोलह-सोलह वार फिसलने के बाद आखिर मकड़ी अपने घर तक पहुँच ही जाती है। 0 [ ११ ] Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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