Book Title: Main to tere Pas Me
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 16
________________ जो व्यक्ति सत्य की शोध-यात्रा पूरी कर लेता है, सत्य के एवरेस्ट पर आरोहण कर लेता है, संसार में उसकी विजय के बिगुल बज उठते हैं । जिन्होंने सत्य के ग्लोब का चप्पा-चप्पा छान मारा, सत्य के सागर की एकएक बूंद को देख-समझ लिया, उनका मंच महात्मा से भी ऊँचा है। ( सत्य की राह पर चलने वाले वास्तव में अमरता की राह पर चल रहे हैं । सम्भव है सत्य का पालन करने वाले को फाँसी का फन्दा मिल जाए, पर सच्चाई को फाँसी के फंदे पर नहीं लटकाया जा सकता। फाँसी का फंदा और जहर का प्याला, कोड़े और गालियाँ सच्चाई की कसौटी हैं। जो इस कसौटी पर खरा उतरता है, सत्य उसे कभी मरने नहीं देता) वह उसके बसन्ती चोले को अमरता के केशरिया रंग से रंग देता है । । सत्य जीवन की आखिरी मंजिल है। इसे पाने के लिए लाखों-करोड़ों रुपये तो क्या जीवन और प्रतिष्ठा को भी दाँव पर लगाना पड़ सकता है । सत्य के लिए जहरीले चूंट पीने पड़ सकते हैं। काला पानी की सजा भुगतनी पड़ सकती है। जेलों में सड़ना पड़ सकता है। सत्य मौके पर सर्वस्व बलिदान चाहता है। बलिदान ही सत्य-प्राप्ति की कीमत है। जो लोग हर प्रकार की कीमत को चुकाने के लिए तैयार हैं, वे ही सत्य की परमता, शिवता और भगवत्ता का माथा चूम सकते हैं। । [ १५ ] Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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