Book Title: Main to tere Pas Me
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 33
________________ कषाय साधना-मार्ग का तीखा रोड़ा है । कषाय की चाण्डाल-चौकड़ी से छटे बिना स्वयं के व्यक्तित्व धन को खतरे से मुक्त/निश्चिन्त नहीं किया जा सकता । व्यक्तित्व की ऊँचाइयों को जीवन में आत्मसात करने वाला यदि क्रोध का अन्तरजगत में स्वागत करता है, तो वह दूध पीकर भी विष-निर्माण की रसायनशाला में पदासीन है । कुत्सित, क्रुद्ध एवं कुण्ठित वातावरण से स्वयं को मुक्त करने के लिए उस वातावरण में रहते हुए अपनी अनुपस्थिति मान लेनी चाहिए। क्रोध के नियमन के लिए व्यक्ति को चाहिए कि वह अपेक्षाएँ दूसरों की बजाय स्वयं से रखे। हमें किसी के कटु शब्द सुनने और सहने की क्षमता रखनी चाहिए। सहिष्णुता के अभाव में मानसिक उद्वेग और अशान्ति में बढ़ोतरी होती है। क्रोधभरा चेहरा और होठों पर अपशब्द सभ्य व्यक्ति के लिए कलंक है । मुस्कराहट जहाँ दूसरे व्यक्ति को आकर्षित करती है, वहीं स्वास्थ्यकर भी है । मधुर वाणी का प्रयोग हमारी ओर से दूसरे को दिया जाने वाला एक सम्माननीय उपहार है। 0 [ ३२ ] Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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