Book Title: Mahopadhyay Yashvijay ke Darshanik Chintan ka Vaishishtya
Author(s): Amrutrasashreeji
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trust

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Page 5
________________ गरुमाता। . स्नेह वात्सल्य के अनुठे अनुदान से मम जीवन दीप को तेजोदीप्त करनेवाली, अमित-आशिष की तरंगों से जीवनधारा को तरंगायमान रखनेवाली अज्ञानरुपी अंधकार में से ज्ञानरुपी प्रकाश में लानेवाली मेरी ऊंगली पकडकर संयम मार्ग पर चलना सीखाने वाली जिनका संस्कार ज्ञान मेरे स्मृति कोश में अनमोल धरोहर रुप सुरक्षित है। जिनका असीम आशिर्वाद आज भी मुझे पल पल मार्ग दिखा रहा है / सेवा, समता एवं शिक्षा के ऊद्दगाता सरल स्वभावी, वात्सल्यवारिधि, ममतामयी साध्वीरत्ना भुआजी म. मम गुरुवर्या सुसाध्वी श्री भुवनप्रभाश्रीजी म.सा. (गुरुमाता) के चरणों में उनकी पावन स्मृति में उनके ही ज्ञानमय, चैतसिक व्यक्तित्व को प्रस्तुत कृति सविनय, सश्रद्धा, सभक्ति सादर समर्पित... गुरु चरणरज साध्वी अमृतरसा >Jain Education Intemational For Person Private Use Only WWisingpurary

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