Book Title: Mahapurana Part 5
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 338
________________ 336 ] महाकपुष्यंतविरयउ महापुराणु ससुरु ण देइ जुण्णवयवंतहु ता कुमारु तु रूपें किउ पडु पंडिउ वोद्दवणियकववेसउ पुच्छिउ ताहिं लिहिउं तें भाणिउ" ता दोह मि कण्णहं मयमत्तइं कुडिलइ चेलिणीइ सररुद्धइ भणिय जाहि आहरण लएप्पिणु तदति मगफेल अवसरु मइदिहिवंतहु । तं णिवासु लेविणु गउ भडु पडु । आयउ कण्णउ णववयवेसउ । किं ण मुह मगहाहिउ सेणिउ । कुसुंभ" रत्त णेत्तरं । कवडें इट्टु जेट्ठ "रइरुद्धइ । आवहि लहुं वच्चहुं हिक्केप्पिणु । अलिउलणीलणिद्धमउकेसहु । घत्ता - आहरणाई लएवि जा पडिआवइ बाली । ता तहिं ताएण दिट्ठ चेलिणि" "मयणमयाली ॥ 10 ॥ ( 11 ) बहिणिविओयसोयसंतती' पायमूलि तवचरणु लएप्पिणु चेलिणि पुणु तुह पुत्तें ढोइय परिणिय सुंदरि जयजयसछें तहि महएवीपट्टू णिबद्धउ खंतिहि जससईहि उवसंती । थक्क जेट्ठ इंदियई जिणेष्पिणु । परं ससणेहें णिरु अवलोइय । घरु आणिय दइवेण सुहदें । सा रइ तुहुं णावइ मयरद्धउ । [ 98.10.8 10 15 5 कारण ससुर उसे देना नहीं चाहता है। बुद्धि और भाग्यवाले आपके लिए यह अवसर है। तब अभयकुमार ने तुम्हारे रूप का चित्र बनाया। और वह सुभट उस पद को लेकर उसके निवास पर गया। वह पण्डित उत्तम वणिक् का रूप धारण कर वहाँ गया। वे नव वय और वेशवाली कन्याएँ आयीं। उन्होंने लिखित (चित्र) के बारे में पूछा। उसने कहा कि क्या आप लोग नहीं जानतीं कि यह मगध राजा श्रेणिक हैं ? तब मदमत्त दोनों कन्याओं के मतवाले नेत्र प्रेमरूपी कुसुम्भ रंग से लाल हो गये। रति से अवरुद्ध और काम से आहत कुटिल चेलना ने कपट से प्रिय ज्येष्ठा से कहा- "तुम शीघ्र आभरण लेकर आ जाओ, हम छिपकर भाग चलें और अलिकुल के समान नीले स्निग्ध कोमल केशवाले मगधेश के गले जा लगें।" घत्ता- जब तक ज्येष्ठा बाला आभूषण लेकर आती है, तब तक काम से मत्त सखी उसे दिखाई नहीं दी । (IL) अपनी बहिन के वियोग से सन्तप्त ज्येष्ठा उपशम भाव को धारण कर, आर्यिका यशोवती के चरणों में तपश्चरण लेकर, इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करने के लिए स्थित हो गयी। चेलना को फिर तुम्हारा पुत्र ले आया । तुमने अत्यन्त स्नेहभाव से उसे देखा । जय जय शब्द के साथ तुमने उससे विवाह किया। इस प्रकार सुभद्र ( अभयकुमार ) दैव वश उसे घर ले आया। उसे तुमने महादेवी का पट्ट बाँध दिया। वह रति 3. ख्यॉक 4 A वोणिय वोणिय 3. A तेहि 6. P भणि 7. AP मुर्गाहिं। 8. AP दोहिं . A कृष्णउ मयमत्तउ to AP नेत्तरं पेम्यकुसंभार रत्तई (A रतउ) 11 AP रइलद्धए 12. AF मिथकेसहो। 13. AP चेल्लिणि। 14. मयरामवाली। ( 11 ). A विहिणि । 2. AP जसमइहे । 3 A चेतिणि ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433