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सभ्यता का संदर्भ भी इस शब्द के साथ जुड़ा हुआ है । इसलिए संस्कृति के क्षेत्र में धर्म, दर्शन, इतिहास, काल, साहित्य प्रादि सब कुछ प्रन्तर्भुक्त हो जाता है ।
संस्कृति का अंग्रेजी अनुवाद साधारणतः Culture शब्द से किया जाता हैं जिसका सर्वप्रथम प्रयोग 1420 ई. में कृषि और पशुपालन के अर्थ में किया गया था । लेटिन Colere शब्द से भी इसकी निरुक्ति बतायी जाती है । वह भी कृषि से संबद्ध है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि कृषि का सम्बन्ध मानव की परंपरा से रहा है । कृषि के कारण ही भ्रमरणशील प्रवृत्ति, विविध वस्तुनों का उपयोग, सामूहिक उपयम यादि वृत्तियां जागरित हुई हैं। इन सभी वृत्तियों को जागरित करने के लिए जिस प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है वह संस्कृति कहलाती है । इतिहास के साथ ही इसका सम्बन्ध समाजशास्त्र से भी है जिसके अनुसार व्यक्ति अपने वंशानुक्रम (heriditory ) धौर परिवेश ( envirnoment ) की प्रतिकृति मात्र है ।
संस्कृति प्रथा Culure शब्द को लेकर देशीय एवं विदेशीय विद्वानों ने बड़ा चिन्तन प्रौर मन्थन किया है। देशीय विद्वानों में डॉ० पी. के. प्राचार्य बलदेव प्रसाद मिश्र, मंगल देल शास्त्री, भगवत शरण उपाध्याय, जयचन्द विद्यालंकार, मोतीलाल शर्मा आदि विद्वान विशेष उल्लेख्य हैं तथा विदेशीय विद्वानों में ए. एल. कोबर ( Krober ), बाउवेनार्क्स (Vavuenargues), वाल्टेयर ( Voltire ), मैथ्यू अर्नाल्ड (matheuce Arnold ), फिलिप बैग्वी (philid Beglu) व्हाइट (leslie A. wnite) प्रादि विद्वानों के नाम लिये जा सकते हैं। ये सभी विद्वान इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि संस्कृति मानव की एक गतिशील प्रवृत्ति है जो व्यक्ति अथवा समाज की अपनी परिस्थिति, परिवेश, संस्कार, मान्यताओं श्रादि की पृष्ठभूमि में परिवर्तित होती चली है ।
भारतीय साहित्य और संस्कृति की भी यही कहानी है अपनी सार्वभौमिक प्राध्यात्मिक साधनों के पुनीत आधार पर वह अनेक भावातों में भी अपना स्तित्व बनाये रखने में सक्षम हुई। अनेकता में एकता उसका मूलमंत्र रहा है । धर्म दर्शन की लोक मांगलिक पृष्ठभूमि मे समाज और साहित्य का निर्माण हुआ है । वैविध्य होते हुए भी जीवन के शाश्वत मूल्य परस्पर गुथे हुये हैं । इसलिए एक धर्म, सम्प्रदाय, साहित्य और संस्कृति दूसरे धर्म, सम्प्रदाय, साहित्य और संस्कृति से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकी । इसी पृष्ठभूमि में हम मध्ययुग के विविध प्रयासों, पर संक्षिप्त विचार करेंगे।
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1. Kroeter A.L and clyde kluckhohn: culture, P. 952