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होती भी हैं । ऐसे तीर्थ क्षेत्रों में पपौरा जी, बंधा जी, कोनी जी, पजनारी, मढ़िया जी, मदनपुर जी, बानपुर जी, थूबौन आदि प्रमुख हैं ।
4. धर्म - प्रभावना क्षेत्र : ये वे तीर्थ क्षेत्र हैं; जहां तीर्थंकरों, केवलियों, आचार्यों, उपाध्यायों आदि महापुरुषों ने अपनी दिव्यध्वनि, देशना आदि के माध्यम से जनमानस को मुक्ति के मार्ग का उपदेश दिया। कुछ तीर्थ क्षेत्रों में तीर्थंकर के समवशरण भी आये; जहां समवशरण के मध्य में विराजमान हो उन्होंने समस्त जीवों के कल्याण हेतु धर्मोपदेश दिये। ऐसे तीर्थ क्षेत्रों में नैनागिरि (रशंदी गिरि), सोनागिरि, देवगढ़, कुंडलपुर प्रमुख हैं 1
यहां के तीर्थ-क्षेत्रों को हम भोगौलिक दृष्टि से भी कुछ भागों में विभाजित कर सकते हैं यथा
1. पर्वतों या पहाड़ियों पर स्थित तीर्थ क्षेत्र : ये तीर्थ क्षेत्र सुरम्य विंध्याचल की श्रृंखलाओं या उनकी चोटियों पर प्रशान्त प्राकृतिक वातावरण के बीच स्थित हैं; जहां कहीं-कहीं घने वन, प्राकृतिक झरने आदि भी देखने को मिलते हैं। ऐसे तीर्थ क्षेत्रों में कुंडलपुर, सोनागिरि, द्रोणगिरि, बड़ागांव धसान (फलहोड़ी), मढ़िया जी, देवगढ़ जी, गोलाकोट जी, सीरागिरि आदि प्रमुख हैं I
2. नदी तट स्थित तीर्थ क्षेत्र : बुंदेलखंड के कई तीर्थ क्षेत्र नदियों के तटीय भागों में सुंदर प्राकृतिक वातावरण में स्थित हैं। ऐसे तीर्थ क्षेत्रों में देवगढ़, द्रोणगिरि, थूबौन जी, पावागिरि, कोनी जी, गिरार जी, सेरोन जी अदि प्रमुख हैं ।
3. पठारी पृष्ठभूमि के तीर्थ क्षेत्र : ऐसे तीर्थ क्षेत्र पठारों पर उच्च भूमि में स्थित हैं । उदाहरण स्वरूप थूबौन, चंदेरी, नैनागिरि, पचराई के नाम लिये जा सकते हैं।
4. पहाड़ों की तलहटी में स्थित तीर्थ क्षेत्र : ऐसे तीर्थ क्षेत्र पहाड़ों के नीचे तलहटी में स्थित है; जहां से मनोरम पर्वतीय दृश्य दिखलाई पड़ते हैं । मदनपुर जी, कोनी जी, अहार जी आदि तीर्थ क्षेत्र इस श्रेणी में आते हैं।
5. मैदानी तीर्थ क्षेत्र : ये तीर्थ क्षेत्र शहरों से दूर शान्त प्राकृतिक वातावरण में मैदानी समतल भूमि पर स्थित हैं । ऐसे तीर्थ क्षेत्र पपौरा जी, बंधा जी, सेरोन जी, खजुराहो, बानपुर जी, पटेरिया जी, पटनागंज जी, बीनावारा आदि हैं ।
6. शहरी तीर्थ क्षेत्र : ये तीर्थ क्षेत्र नगरों में स्थित हैं। मढ़िया जी (जबलपुर), करगुआ जी (झांसी), शहरी तीर्थ - क्षेत्र हैं ।
7. कला तीर्थ क्षेत्र : बुंदेलखंड के जैन तीर्थ क्षेत्रों में कतिपय तीर्थ क्षेत्र सारे विश्व में अपनी कलागत विशेषताओं के कारण विख्यात हैं। उदाहरण के लिए श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र खजुराहो व देवगढ़ का नामोल्लेख किया जा सकता है। खजुराहो विश्व विरासत के रूप में यूनेस्को के द्वारा स्वीकार किया जा चुका है और अपने कलात्मक सौन्दर्य के कारण विश्व के कोने-कोने से पर्यटक एवं तीर्थ-यात्री
14 ■ मध्य-भारत के जैन तीर्थ