Book Title: Lo Isko Bbhi Padh Lo
Author(s): Rishabhdas Mahatma
Publisher: Rishabhdas Mahatma

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Page 18
________________ भी एक दूसरासे चढबढ के त्याग देना, ढोल बजाना और प्रतिवर्ष लाखों करोडों रुपये इन निंदको को देकर पाखण्ड का पोषण कर उन का होसला बडा रहे हो; पर इस का नतीजा क्या हो रहा है वह आप के सामने है। जब दूसरी ओर आप का जाति भाई द्रव्य सहायता के अभाव बैकार बैठे है, दुःखमय जीवन गुजार रहे है, धर्म से पतित बन रहे है, आपके बालबच्चे अज्ञान में सड़ रहे हैं क्या उन पर भी आप को कभी करुणा, दयो, रहमता आती है ? अतएव आपकी पतन दशा का मुख्य कारण आप की ही अज्ञानता है । जरा एकान्त में बैठ के सोचो, समजो और इन सेवको की शैक्रान्त से शीघ्रातिशीघ्र मुक्त हो जाईये । ईन भोजकोने कर्तव्यी ढांचा बना के जनता को किस प्रकार से धोखा दिया हैं जरा ईन सेवको की गप्पे भी सुन लीजिये । - कवि तेज अपनी “ सुर्यमगप्रकाश " किताब में लिखते हैं कि शाकद्वीपमें पहले क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र एवं तीन ही वर्ण थे, बाद सूर्यने मगको पेदा किया । ठोक है सेवगों अाकाश में चलता फरता सूर्य का वीर्य पतन हुआ और किड़ो की माफिक उस से मग विप्र उत्पन्न हुए हो या सूर्यने जैसे सती कुंती का सतीत्व नष्ट किया था इसी मुवा. फिक और किसी सती से गमन कर मगों कों पैदा किया होगा इसी कारण मगों के पिता तो सूर्य हैं पर माता का आज पर्यन्त पत्ता नहीं है कि किस के उदर से सेवक पैदा हुए । अरे दंभियो ! यह सृष्टिविरुद्ध कार्य कभी हो सकता है कि ब्रह्मा के विधान में भूल रही जिसको सूर्यने सुधार कर चोथा वर्ण बनाया ? वास्तव में बात यह है कि अनार्य देश में वर्ण व्यवस्था नहीं थी पर अनार्य सेवक ब्राह्मण बनने के लिये यह कल्पना की हैं, पर इस से भारतीया किसी ब्राह्मणोने इन

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