Book Title: Lo Isko Bbhi Padh Lo
Author(s): Rishabhdas Mahatma
Publisher: Rishabhdas Mahatma

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Page 26
________________ &&&&&& २४ ऊन निगमबादियों के अभाव ओसवालों के लग्न - शादी वगेरह क्रियाकाण्ड तुमारे कट्टर शत्रु भारतीय ब्राह्मण करवाते हैं और तुम जीते हुए देखते हो । शेष रहा ओसवालों के घरों में कमीनपने के काम वह ही तुमारे हाथ लगा हैं फिर भी तुम को शरम नहीं आती है कि ओसवालो के गुरु बनने को तैयार हो रहे हैं। ( ९ ) क्योंर सेवगो ! ओसवालों के गुरु निम्न लिखित कार्य की किया या करते हैं ? जैसाकि आज तुम करते है । (क) अपनी चाकरी के एवजाना में घर घर से आटा, रोटी, खीचखडी मांग के हमेशां लाना । (ख) घर घर में नेता तेड़ा देना बुलाने को फिरना । (ग) लग्न - शादी, ओसरमोसर के समय चिठियों व कुकुमपत्रिका ग्रामोग्राम देनेको जाना जैसे राजपूतों में ढेड जाते हैं । (घ) ओसवालों की बहु बेटियों को सासरे पियर पहुंचाने को जाना ‍ (च) ओसवालों के गामान्तर जाने के समय चाकरी में साथ जाना । ( प ) तनाजा होनेपर प्रोसवालों कों मांबाप कहना और आप बेटा बेटी बनना । (स) भाटों की माफिक देनेवालों का गुण और नहीं देनेवालों का अतिशय अबगुनबाद बोलना । (र) यदि तुम ओसवालों के गुरु ही थे तो तुमारे लिये यह कहावत कैसे चली कि --

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