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(३) सेवग लोग ओसवालों के वहाँ कच्ची पका रसोई जीमते आये और आज भी जोमते हैं । यदि कोई इस बातको इन्कार करे तो सीधा रस्ता बतला दो । सेवगों को चाहिये कि वे अपने को ब्राह्मण साबित कर भारतीय ब्राह्मणों के साथ रोटी व्यवहार करे, बाद कची पक्की रसोई का नाम लें ।
(४) कोई भी ओसवाल न तो सेवगों से राखी बन्धावे, न तिलक करावें, न पगे लागना करे और न तीन तेरह तेतीसावाला छप्पया बोलने देवे ।
(५) जहाँ जैन मन्दिर की चाबियों सेवर्गों के पास है, यह शीघ्र छीन ले । यदि मन्दिरों की पूजा करते हो तो जिस समय पूजा करे चाविए देवा और पूजा करने के बाद चाविए वापिस लेलो ।
(६) जैन मन्दिरों में सेवगोंने जहाँ जहाँ अन्य देवताओं की मूर्तियाँ रखदी हो उन सब को शीघ्र उठा दो ।
(७) ओसवालों का कोई भी काम सेवगों बिना नहीं रुकेगा क्योंकि सेवगों के सुप्रद सिवाय मजूरी के कोई काम नहीं है । यदि सेवग नहीं करे तो दूसरे मजूरो से करवालो । गोडवाड़ वगेरह में रावलादि श्रोसवालों के काम करते हैं ।
(८) जैन मन्दिरों की पूजा भाड़ायती पूजारियों से न करवाके स्वयं श्रावकों को पूजा करनी चाहिये । आपके भाई दिगम्बर स्वयं पूजा करते हैं । जहाँ ३ घर दिगम्बरों के हैं वहीं मन्दिर हो तो दश दश दिन का बारा है कि वे स्वयं पूजा पक्षाल करवाते हैं; पर श्वेताम्बर पराधीन हैं । ४०००० मन्दिरों में १००००० नोकर चाकर और भाड़ायती पूजारी है। प्रत्येक आदमी को कम से कम प्रत्येक वर्ष में २५०) दिया