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________________ २९ (३) सेवग लोग ओसवालों के वहाँ कच्ची पका रसोई जीमते आये और आज भी जोमते हैं । यदि कोई इस बातको इन्कार करे तो सीधा रस्ता बतला दो । सेवगों को चाहिये कि वे अपने को ब्राह्मण साबित कर भारतीय ब्राह्मणों के साथ रोटी व्यवहार करे, बाद कची पक्की रसोई का नाम लें । (४) कोई भी ओसवाल न तो सेवगों से राखी बन्धावे, न तिलक करावें, न पगे लागना करे और न तीन तेरह तेतीसावाला छप्पया बोलने देवे । (५) जहाँ जैन मन्दिर की चाबियों सेवर्गों के पास है, यह शीघ्र छीन ले । यदि मन्दिरों की पूजा करते हो तो जिस समय पूजा करे चाविए देवा और पूजा करने के बाद चाविए वापिस लेलो । (६) जैन मन्दिरों में सेवगोंने जहाँ जहाँ अन्य देवताओं की मूर्तियाँ रखदी हो उन सब को शीघ्र उठा दो । (७) ओसवालों का कोई भी काम सेवगों बिना नहीं रुकेगा क्योंकि सेवगों के सुप्रद सिवाय मजूरी के कोई काम नहीं है । यदि सेवग नहीं करे तो दूसरे मजूरो से करवालो । गोडवाड़ वगेरह में रावलादि श्रोसवालों के काम करते हैं । (८) जैन मन्दिरों की पूजा भाड़ायती पूजारियों से न करवाके स्वयं श्रावकों को पूजा करनी चाहिये । आपके भाई दिगम्बर स्वयं पूजा करते हैं । जहाँ ३ घर दिगम्बरों के हैं वहीं मन्दिर हो तो दश दश दिन का बारा है कि वे स्वयं पूजा पक्षाल करवाते हैं; पर श्वेताम्बर पराधीन हैं । ४०००० मन्दिरों में १००००० नोकर चाकर और भाड़ायती पूजारी है। प्रत्येक आदमी को कम से कम प्रत्येक वर्ष में २५०) दिया
SR No.007300
Book TitleLo Isko Bbhi Padh Lo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRishabhdas Mahatma
PublisherRishabhdas Mahatma
Publication Year1940
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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