Book Title: Launkagacchha aur Sthanakvasi Author(s): Kalyanvijay Gani Publisher: Kalyanvijayji View full book textPage 2
________________ यह पुस्तिका (लेखक - इतिहासवेत्ता पं. श्री कल्याणविजयजी गणि) पुस्तक के चतुर्थ परिच्छेद से उद्धृत की गई है। लौकाशाह के सत्य इतिहास को इसमें प्राचीनप्रमाण और तर्क से पेश किया है। पूर्वग्रह से मुक्त होकर मध्यस्थभाव से इस प्रामाणिक इतिहास को पढ़ें, सोचे, विचारें, समझे और आत्मकल्याण का पथ अपनाईए। मुद्रक संकेत आर्ट ७/३०१८, सैयदपूरा, तुरावा महोल्लो, सूरत. प्राप्ति स्थान सुनिल बालड जमना विहार, भीलवाड़ा. फोन : ९८२८३ ८१५७९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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