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लघुविद्यानुवाद
मन्त्र साधन मुहूर्त का कोष्टक :
नक्षत्र उत्तफा ह अश्वि०म०वि०म०
वार र०सी० बु० गु० शु० | तिथि २१३५१७।१०।१९।१३।१५
इस कोष्टक को देखकर, पचाङ्ग से मिलान कर मन्त्र साधना करने का मुहर्त देख लेना चाहिये, तब मन्त्र साधन की ओर अग्रसर हो, नही तो सफलता नही मिलेगी।
मन्त्र सिद्ध होगा या नहीं उसको देखने की विधि :
जिस मन्त्र की साधना करना हो उस मन्त्र के अक्षरो को ३ से गुणा करे, फिर अपने नाम के अक्षरो को और मिला देवे, उस सख्या मे १२ का भाग देवे, शेष जो रहे, उसका फल निम्नानुसार जाने -
५-६ बाकी बचे तो मन्त्र सिद्ध होगा। ६-१० बचे तो देर से सिद्ध होगा। ७-११ बचे तो अच्छा होगा। ८-१२ बचे तो सिद्ध नहीं होगा।
कोई मन्त्र अगर अपने नाम से मिलने पर ऋणी या धनी आता हो, तो उस मन्त्र के आदि मे ॐ ह्री श्री क्ली इनमे से कोई भी बीज मन्त्र के साथ जोड देने पर मन्त्र अवश्य सिद्ध हो जायेगा।
मन्त्र जपने के लिये प्रासन :
पर्यकासन - इसे सूखासन भी कहते हैं। दोनों जंघाओ के नीचे की भीग पाँव के ऊपर करके बैठे यानि पालथी मार कर बैठे और दाहिना व बाया हाथ नाभि कमल के पास ध्यान मुद्रा मे रखे।
वीरासन -दाहिना पैर बॉयी जघा पर व बायाँ पैर दाहिनी जंघा पर रख कर स्थिरता से बैठे।