Book Title: Khavag Sedhi
Author(s): Premsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

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Page 12
________________ * अनुक्रम * 13 16 17-70 17 18 19 22 *प्रकाशक की ओर से .... .... 8-10 कुन्दकुन्दाचार्यने षट्खण्डागम तथा कषाय*सम्पादकीय .... ..... 11.15 प्राभृतनी प्राप्ति .... 44-45 प्रस्तुतग्रन्थk लेखन अने सम्पादन .... त्रिलोकप्रज्ञतिनी अन्तिम २ गाथाओना अर्थनी। 11 विचारणा सम्पादननी शैली 12 .... 41-49 जरूरी परिशियो त्रि० प्र० अने का प्रा. वृणिना कर्ता ओम थी। 14-15 ओ सूचवतां प्रमाणो कृतज्ञता दर्शन .... ... 49-56 *समर्पण मुद्रित कषायप्राभूतचूणिनी प्रस्तावनाभां रजू करायेली मान्यतानी समीक्षा ... 57 *प्रस्तावना क्रर्मप्रकृतिचूर्णि अने कषायप्राभृतचूणि वच्चे। क्षपकश्रेणिनी आवश्यकता पदार्थोना मतभेदो .... .... 57-60 भगवान महावीरदेवनी तीर्थस्थापना 17 क०प्र०चूर्णि अनेक प्रा-चूर्णिनी भाषापद्धतिमां भेद60-61 द्वादशांगी अने तेनु स्वरूप कर्मप्रकृतिचूर्णि बगेरे अककर्तृक होय तो पण ते द्वादशांगीनी परंपरा .... त्रि० प्र० ना कर्ता यतिवृषभथी रचित नथी ते कनु स्वरूप 19-21 सूचवतां प्रमाणो .... .... पूर्वगत कर्मविज्ञान अने वर्तमानकाले कर्मविज्ञान 21 61-62 प्रस्तुत खवासेढी' ग्रन्थ सर्जन .... 21 मुद्रित कर्मप्रकृतिचूर्णिनी भाषा बदल्याना प्रस्तुतग्रन्यनो विषय .... आक्षेपोनी निरर्थकता सूचवतां प्रमाणो ..... 62-64 .... प्रस्तुतग्रन्थनी विशेषताओ .... 23-24 प्रस्तुत ‘खवगसे ढो' ग्रन्थमां आवेला साक्षी ग्रन्थो 65 ... कर्मसाहित्यविषयक प्राचीन ग्रन्थो कर्ममाहित्यसर्जननी प्रवृत्ति 65-67 24-29 6768 कषायप्राभृत तथा तेनी चूरिण .... ग्रन्थोनी रचना पद्धति ... 20-30 दिगम्परपरंपराने अमान्य सेवा कपायप्राभृतचूर्णि । प्रस्तुतग्रन्थनी रचना .... 68.62 ग्रन्थनी उपयोगिता अन्तर्गत पदार्थो .... .... 30-31 श्वेताम्बराचार्यांना ग्रन्थोमां कषायप्राभूतना अन्तिम निवेदन 70 आधार, साक्षी तथा अतिदेशो .... 32-36 प्रस्तावनामां उपयुक्त ग्रन्थोनी यादो 71 कषायप्राभृत तथा तेनी चूर्णिनी रचनानो काळ 36 39 *गुरुस्तुतिः क० प्रा० चूणिरचनाना काल अंगे वर्तमान सम्पा- . ऋविषयानुक्रम .... .... १.२१ दको नी मान्यता .... .... 39-40 *परिशिष्टमूचि .... .... २१ उक्तमान्यता नी समीक्षा . ...40 बृहत्कल्प निशीथचूर्णि वगेरेमा आर्यमंगुनो उल्लेख41 *चित्रसूचि .... .... २१-२२ हिमवंत थेरावली तथा अन्य श्वेताम्बर पट्टायलीओ- स्वोपज्ञवृत्ति युक्त खवगसेडी'ग्रन्थ १-५६४ ना आधारे आर्यमगु अने नागहस्तीना काळ । *परिशिष्टो .... ५६५.५८४ अंगे विचारणा 41 43 श्वेताम्बर परम्परामा पूर्वधरोवाच कहेवाता हता-43 *मृगाथा श्रोनो गुजरातीमां भावानुवाद १.३२ इन्द्रनन्दिनावचनीजयधवलाकारना वचननोबाध44 | *अशुद्धिसंमार्जनपत्र ८५-५९१३ ... 69 निवेदन .... ..... 72 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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