Book Title: Katyayanas Sarvanvkramani of Rigveda
Author(s): A A Macdonell
Publisher: Clarendon Press

View full book text
Previous | Next

Page 198
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 168 ॥ वेदार्थदीपिका ॥ खगोत्यान्मेषुमायेति कल्पहर्गणने सति । सवीनुक्रमणीवृत्तिजीता वेदार्थदीपिका ॥१३॥ लक्षाणि पंचदश वै पंचपष्टिसहस्रकं । सद्वात्रिंशच्छतं चेति दिनवाक्याथै ईरितः ॥१४॥ विनायकः शूलपाणिर्मुकुंदः सूर्यो व्यासः शिवयोगीति परे । नमामि तान् सर्वदा पातु मां ते या पडिः सप्त विद्यास्तु दनाः ॥१५॥ भाद्या सर्वानुक्रमणी द्वितीया महाव्रतं चोपनिषड्यं च । महाव्रतं सूत्रमासां तृतीया चत्वारिंशद्रामणं वै चतुर्थी ॥१६॥ सूत्रं पंचम्यत्र 10 षष्ठी तु गृह्म शाकल्यस्य संहिता सप्तमीति । इमा दना विद्यास्तु सद्भिः षड्भ्यो गुरुभ्यो हि नमोऽस्तु तेभ्यः ॥१७॥ इति घनरूशिष्येण कृता वेदार्थदीपिका। सानुक्रमणीवृत्तिः समानेष्टार्थपुष्टये ॥१॥ ॥ इति पद्गुरुशिष्पविरचितायां सानुक्रमणीवृत्तौ वेदार्थदीपिकायां प्रथमोऽध्यायः समान:13 ॥ __1 WI; गांत्यांमेषमासेति P1; गणांत्यामेषमासेति P2, I 2 (T 4 omits verses 12-18). कल्यहोगणने W1; कलिशुद्धदिनहोगणने PI; किलशुद्धदिनहोगणने P2, I 2. WI; ल-पंचदश वै PI; लक्षपंचदशपदैः P2, I 2. 4 WI; oर्थ हीरित: PI, P2, I 2. These two slokas (13 and 14), which give the date of the Vedârthadîpika, are fully explained by Weber, Ind. Stud. vol. viii, p. 160, note. P1, P2, I 2; F IAT W 1. In the Introd. to Shadg.'s comm. (Weber's Catal., p. 14) Sûlapâni is called Salanka, and Mukunda is called Govinda. घड्भ्यो PI, P2, I 2; पड्भ्यो WI. PI, Wr; प्रदत्ताः P2, I2. PI, P2, 12; आद्यानुक्रमणी WI. शं PI. 10 WI; सूत्रं पंचम्युPI; तद्वत्सुत्रं पंचमी वै निरुतं P2, I 2. 11 PI, P2, I 2 add सप्त. 12 WI; चार्यपुष्टये P1; आत्मतुष्टये P2, I 2. 13 PI, I 4 add समाप्तमिदं शासं समाप्ता चेयं वृतिः सानुक्रमणीवृत्तिः। For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254