Book Title: Karmagrantha Part 4 Shadshitik
Author(s): Devendrasuri, Sukhlal Sanghavi
Publisher: Parshwanath Vidyapith

View full book text
Previous | Next

Page 259
________________ हिन्दी Jain Education International २०६ गाथाङ्क ७८,८३ १९,२६,३२ ४३ प्राकृत अब्भास अभव (व्व) अभवियर अभव्यजिय अभव्वत्त अभिगहिय अभिनिवेसिय संस्कृत अभ्यास अभव्य अभव्येतर अभव्यजीव अभव्यत्व आभिग्रहिक आभिनिवेशिक ur विशेष (२१८-१८)। सिद्ध न होनेवाला जीव विशेष। 'अभव्य' और 'भव्य' नामक जीव विशेष। 'अभव्य' नामक जीव विशेष। 'अभव्यत्व' नामक मार्गणा विशेष। 'आभिग्रहिक' नामक मिथ्यात्वविशेष (१७६-४)। 'आभिनिवेशिक' नामक मिथ्यात्व विशेष (१७६-७)। अलोकाकाश। लोभ का छोड़कर। लेश्या-रहित। 'अवधिज्ञान' नामक ज्ञान विशेष। (५६-११) ५१ For Private & Personal Use Only ८५ शा चौथा कर्मग्रन्थ ५८ ५० ११ ३७,८३ ५७ अलोगनह अलोभ अलेसा अवहि अवि अविउब्वियाहार अलोकनभस् अलोभ अलेश्य अवधि अपि अवैक्रियाहार 'वैक्रिय' और 'आहारक' नामक काययोग विशेष को छोड़कर। पापों से विरक्त न होना। चौथे गुणस्थान वाला जीवा ५०,५१,५६,५७ अविरइ www.jainelibrary.org अविरति अविरत अविरय

Loading...

Page Navigation
1 ... 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290