Book Title: Karmagrantha Part 4 Shadshitik
Author(s): Devendrasuri, Sukhlal Sanghavi
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 266
________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org गाथाङ्क १ ७६ ३९ ११,४२ ६५ ६, १७, २१, २८, ३१, ३३,३७, ४८,८५ १२ ४१,६७ ११ ४० १३ २२,३३,४४,६७ - २,६४,६८ प्राकृत किम किर कीव केवल (५६-१६) केवल जुयल केवलदु(ग) केवलदंसण (६३-३) केवलिन् कोह (५५-२) कोहिन् खइग (६६-१२) ख(-इ)य(१९६ १६, २०५-२ संस्कृत किम् किल क्लीब केवल केवळ युगल केवलद्विक केवलदर्शन केवलिन् क्रोध क्रोधिन् क्षायिक क्षायिक हिन्दी कुछ। पादपूर्त्यर्थ । 'नपुंसकवेद' नामक उपमार्गणाविशेष । 'केवलज्ञान नामक ज्ञानविशेष तथा 'केवलदर्शन' नामक दर्शनविशेष | 'केवलज्ञान नामक ज्ञानविशेष तथा 'केवलदर्शन' नामक दर्शनविशेष। 'केवलज्ञान नामक ज्ञानविशेष तथा 'केवलदर्शन' नामक दर्शनविशेष | 'केवलदर्शन' नामक दर्शनविशेष | केवलज्ञानी भगवान्। 'क्रोध' नामक कषायविशेष क्रोधवाला जीव । 'क्षायिक' नामक सम्यक्त्व - विशेष । 'क्षायिक' नामक सम्यक्त्व तथा भाव - विशेष । परिशिष्ट २१३

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