Book Title: Karmagrantha Part 4 Shadshitik
Author(s): Devendrasuri, Sukhlal Sanghavi
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 279
________________ Jain Education International गाथाङ्क ७७ हिन्दी 'उत्कृष्टसंख्यात' नामक संख्याविशेष। २२६ ६४,६६,६७-२,६८ णाम "पारिणामिक' नामक भावविशेष। ७१,८३ ७१,७८ प्राकृत संस्कृत परमसंखिज्ज परमसंख्येय (२१७-१६) परिणाम (१९७-३, परिणाम २०५-३) परित्तणंत परित्तानन्त परित्तासंख परित्तासंख्यात (२१८-११) परिहार (५९-७) परिहार पलिभाग परिभाग पल्ल पल्य 'परित्तानन्त' नामक संख्याविशेष। ___परित्तासंख्य' नामक संख्या-विशेष। For Private & Personal Use Only चौथा कर्मग्रन्थ पवण पवन १२,२१,२९,४१ ८२ ७२,७७-२ २७,३६ ६९ ४९,७१,७५ ८५ ५७,७४,८३,८४,८५ ७४ 'परिहारविशुद्ध' नामक संयमविशेष। निर्विभागी अंश। 'पल्य' नामक प्रमाणविशेष। 'वायुकाय' नामक जीव-विशेष। 'पारिणामिक' नामक भाव-विशेष। भी 'पुद्गल' नामक द्रव्य विशेष। फिर। पारिणामियभाव पारिणामिकभाव अपि पुद्गल पुग्गल पुण पूरा। पुस www.jainelibrary.org ३९ 'पुरुषवेद' नामक उपमार्गणा-विशेष

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