Book Title: Karmagrantha Part 4 Shadshitik
Author(s): Devendrasuri, Sukhlal Sanghavi
Publisher: Parshwanath Vidyapith

View full book text
Previous | Next

Page 274
________________ गाथाङ्क ११,५०, प्राकृत ति संस्कृत इति हिन्दी समाप्त तथा इस प्रकार। Jain Education International थ १५,२७,३२ थावर स्थावर 'स्थावर' नामक जीवों की जाति विशेष। 'स्त्री वेद' नामक मार्गणा विशेष। १८ स्त्री .३७,३८-२,३९-२,४०,४१,४२, ४३-३,४४-२,६२ थोव स्तोक थोड़ा। दक १९,३६ ६,१६,२०,३१,५४,५८,८१ परिशिष्ट For Private & Personal Use Only दश ६५ दाणाइलद्धि दीवुदही 'जलकाय' नामक स्थावरजीव विशेष। दस। दान आदि पाँच लब्धियाँ। द्वीप और समुद्र। दानादिलब्धि द्वीपोदधि ७४,७७ ६-२,८,१५-२,१८,१९-२,२०, २१,२३-२,३५-२,३७,३८, ४२,४४,४७,६२-२,६४,८२ १६,३२ ५२ दु(-ग) दुअनाण दुपञ्चअ द्वि अज्ञान द्विप्रत्ययक दो। 'मत्यज्ञान' और 'श्रुतज्ञान' नामक दो अज्ञान। दो कारणों से होनेवाला बन्धविशेष। २२१ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290