Book Title: Karmagrantha Part 4 Shadshitik
Author(s): Devendrasuri, Sukhlal Sanghavi
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 258
________________ Jain Education International प्राकृत अधम्मदेस अना(त्राण अनाणतिग अनियट्टी अनिल अनुदीरगु अन्न अन्नाणमीस संस्कृत अधर्म देश अज्ञान अज्ञान त्रिक अनिवृत्ति अनिल अनुदीरक गाथाङ्क ८१ ६,११,२६,३०,६६ २०,३२ ६२ १०,३८ ६२ '४,३५,८० ३३ २,३,४ ३,४,६,७,१५-२,१८-२,४५ ५७,६१,६३ ५९ ५७,५९,६२,७० अन्य For Private & Personal Use Only अपजत्त हिन्दी 'अधर्म' नामक द्रव्य के प्रदेश। मिथ्या ज्ञान। 'कुमति', 'कुश्रुति' और 'विभङ्ग' नामक तीन अज्ञान। 'अनिवृत्तिबादरसंपराय' नामक नौवाँ गुणस्थान। 'वायुकायिक' नामक जीवविशेष। (५२-१६) 'उदारणी न करनेवाला जीव। और-दूसरे। अज्ञान-मिश्रित ज्ञान। 'अपर्याप्त' नामक जीव विशेष। (११-२) 'अपर्याप्त' नामक जीव विशेष। (११-२) 'अप्रमत्त' नामक सातवाँ गुणस्थान। 'अप्रमत्त' नामक सातवें गुणस्थान तक। 'अपूर्वकरण' नामक आठवाँ गुणस्थान। 'अपूर्वकरण' नामक आठवें से लेकर बारहवें तक पाँच गुणस्थान। कम और ज्याद: (७-४)। बन्धन करनेवाला जीव विशेष। परिशिष्ट अपज्ज अज्ञानमिश्र अपर्याप्त अपर्याप्त अप्रमत्त अप्रमत्तान्त अपूर्व अपूर्वपञ्चक अपमत्त अपमत्ततं अपुव्व अपुव्वपणग अर ४६ अप्पबहू अबंधग अल्पबहु अबन्धक ५९ २०५ www.jainelibrary.org,

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