Book Title: Kalpasutram Barsasutram Sachitram
Author(s): Bhadrabahuswami, Meghsuriji
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 186
________________ बारसा ॥ ७७॥ पृच्छा कल्प० लेणे, भिंगुलेणे, उजुए, तालमूलए, संबुक्कावट्टे नामं पंचमे, जे छउमत्थेण निग्गंथेण वा * स्थविराव निग्गंथीए वा जाणियवे पासियचे पडिलेहियत्वे भवइ । से तं लेणसुहुमे ७॥ से किं तं हूँ | गोचरीसिणेहसुहुमे ?, सिणेहसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-उस्सा, हिमए, महिया, करए, हर विधिः तणुए । जे छउमत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा अभिक्खणं २ जाणियव्वे पासियवे पडिले-18 दहियत्वे भवइ । से तं सिणेहसुहुमे ८॥४५॥ वासावासं पज्जोसविए भिक्खू इच्छिज्जा गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा थेरं पवित्तिं गणिं गणहरं गणावच्छेअयं जं वा पुरओ काउं विहरइ, कप्पइ से आपुच्छिउं आयरियं वा उवज्झायं वा थेरं पवित्तिं गणिं गणहरं| गणावच्छेअयं जं वा पुरओ काउं विहरइ-'इच्छामि णं भंते ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा', ते य से वियरिजा एवं से कप्पइ गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, ते य ॥ ७७॥ Jain Education Interna For Private Personel Use Only Marww.jainelibrary.org

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