Book Title: Kalpa Sutra
Author(s): Bhadrabahuswami,
Publisher: Nagor
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५ निघावा २ एत लढाईजां तां अढाई आवती
इस प्रकार
कालपाकरांबा सावादिता उर दोपाणिने करवा पणितन कल्प
तपासणकल्पइ
तिरात्रिसुल ति पंचमनी
तेरयति ७वा
वासपोसावमा अंतरावियासकपर पाद्यास विनर (नामक क्रमाकावर्षावास मारियासाधुन कल्पना नियंत्रमाधान चिफुं दिनि पवित्तर वासायास पात्रा सदिया। कप ३ निघाणचा निधी वा विदिस की सहित जोया अवयह यही लिईनई र दिये। घोमो कालयामिदमा सा को सलगर हामनीरघास काय तेननिकाल
समता सासदं गिन्दिताएं चिनिं दालदम दिगाद आए साम वर्षावामा साधुतियांनई कल्प विद्वेदिसि विदिसि काससहिततो निशाचर्यानगोजाई करा पाटो वासा वासं पाहास विया कप्प सब समतास (काम जाय लिस्काय रिया एंड वल प्र०१० जिहांनंदी सदाज लिम दिन घणो पापती संदाज इसानदार चिऊंदिसि विदिसि कोम दन तिहांना पश सहावहती रह नई निगा निघसंदा (नासिकम्प सङ्घसमंतास जिहां निदाच मीर काजि जाई पावल [कास जाएं। निस्काय रियापडि नित्तर प्रादई जलाए १२ अब
प्रावती नामनंदीकरणाला ११
हिवरं (जणी नदी पाणीसंदऊयात दिखिन उदयपाल विनाजायते विधिक
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सहित योजन
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अहोरात्र सामनंद ते दिवालमध्य हालंदा उत्कष्ट ब मोमसोम एकचामिर दिवौकल्पमीको तमाम तो
घरीरेषा करतेत लो कल एनादिरनर दिन

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