Book Title: Kalpa Sutra
Author(s): Bhadrabahuswami,
Publisher: Nagor
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ननाय पिऊपर दाढी६ मुं श्रेणी स्माराम
इंडाते उसमधु
बेंद्रियकिञ्चन द्वारा
जीवरह तेलअन सुषमतेनाघरू
नई
कपनक
षिकामतकार दोनदा मुहार पद कमी इंडाए सूक्ष्म माहरी बेद्यो पारोनाल मलिन कल्पनामादिक४ आहार करिव ४३ वर्षावासरस्य पण सुषम स्वगते फू लेनते जिदांकी का याचा टिकादिक अनेक मका डिन्न सिपाल स्वासक असलेवार हा प्रामाणि तेाहवर्षा इहां निश्च निघन निधी एकहीना सूक्ष्म कस्यातिखदमच माइस मिकाष्टतांडादि सावया' हरवत्वनिग्गंधा बारामा बीज ते करि स्त्रोपदेशमाधु आषिदिषिवा दिषी करी पहिले हि वायरिहरिवा तेकदा कात्रा ल्यादिक बाज नईमुषमू लिनही म प्रसिबीजसुप्रिम श नवोकगतन घो विणसकते हरित स प्रमायुते वड
संभेदते दुम आकाश कुंती पर इतेसमेत सुपमज शिवा
नई
वार वार
नई जाणिवा
पण विचार वा अवर
एवारिक राणा पासिचाइं पडिलहियातितंजदा, बीजमुदार हरितषमध
प्राणस्त्रदश पनक सूक्ष्मर
प्रुफ सूषमण
चंड सूपमध
पाणयुद्धमं पराग खहमर बाय सुरुमंत्र हरि लिएस्तूपमा सानंद सुषमा
डुबरप्रमुख समान चलनाथ ॐती वासोवा सिक रालि विराधाते
पुष्पणमस्त
हम छालामंत्र (सास सुदमं
हिवश्वला इमविशेषण विशेषगयो करी पाणी रोबिंड
पुष्परमं पंचिप्रकारे काबर तक
इब
किंते (ससुतामम विहिप मात्र के
सूम रिद्रिय प्रा
कसं ते प्राण बेंवेंद्र

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