Book Title: Kaise Sulzaye Man ki Ulzan
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 6
________________ प्रवेश से पूर्व मन की शांति जीवन का स्वर्ग है । जिसका मन शांत है वह व्यक्ति सदा सुखी, प्रसन्न और आनंदित जीवन का मालिक होता है। उसके जीवन में हर सुबह ईद, हर दिन होली और हर रात दीवाली होती है। शांत मन व्यक्ति को बुद्ध बनाता है, वहीं अशांत मन व्यक्ति को बुद्ध । मन अपार शक्ति का मालिक है । इसे साधकर इसकी शक्तियों का सार्थक उपयोग किया जाए तो यह हमारे जीवन का बाधक बनने की बजाय मददगार बन जाता है। अगर एक ओर अकूत सम्पत्ति मिल रही हो और वहीं दूसरी ओर मन की शान्ति तो हमें चयन में विलम्ब नहीं करना चाहिए, झट से मन की शान्ति को स्वीकार कर लेना चाहिए। प्रस्तुत पुस्तक 'कैसे सुलझाएं मन की उलझन' हमारे लिए यही मार्गदर्शन कर रही है । T जीवन की सहजता और मन की उलझनों को सुलझाने के लिए ही 'कैसे सुलझाएं मन की उलझन' पूज्य श्री ललितप्रभ सागर जी महाराज का पावन प्रवचन ग्रन्थ है । जीवन की दुरूहता को सरल बनाने के लिए और जीवन को सहज रूप से जीने के लिए ही पूज्य श्री कहते हैं कि मन की शान्ति न तो किराये पर मिलती है और न ही खरीदी जा सकती है जिसे जीने की कला आ जाती है वह मन की शांति को पा लेता है । व्यक्ति सदैव खुशियों से भरा रहे और जैसे सुखों के लिए बाहें फैलाता है, वैसे ही दुःख आने पर उनका स्वागत करे। जैसे हम कैमरे के सामने फोटो खींचवाते समय पंद्रह सैकण्ड के लिए मुस्कुराया करते हैं। वैसे ही हमें सदैव ही मुस्कान से भरे रहना चाहिए । 1 महोपाध्याय श्री ललितप्रभ सागर महाराज आज देश के नामचीन विचारक संतों में हैं। प्रभावी व्यक्तित्व, बूंद-बूंद अमृतघुली आवाज, सरल, विनम्र और विश्वास भरे व्यवहार के मालिक पूज्य गुरुदेव श्री ललितप्रभ मौलिक चिंतन और दिव्य ज्ञान के द्वारा लाखों लोगों का जीवन रूपांतरण कर रहे हैं । उनके ओजस्वी प्रवचन हमें उत्तम व्यक्ति बनने की समझ देते हैं। अपनी प्रभावी प्रवचन शैली के लिए देश भर के हर कौम-पंथ-परम्परा में लोकप्रिय इस आत्मयोगी संत का शांत चेहरा, सहज भोलापन और रोम-रोम से छलकने वाली मधुर मुस्कान इनकी ज्ञान सम्पदा से भी ज्यादा प्रभावी है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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