Book Title: Jyotish Kaumudi Author(s): Durga Prasad Shukla Publisher: Megh Prakashan DelhiPage 15
________________ गया है-न क्षरति, न सरति इति नक्षत्र-जो न हिले, न चले, वह नक्षत्र है। कुछ विद्वानों ने नक्षत्र का यह भी अर्थ लगाया हैनक्ष-पहुँचना, ‘स्प्रोच', त्र-चौकसी। अंग्रेजी भाषा में नक्षत्र को 'कांस्टलेशन' (Constellation) कहते हैं। चीनी ज्योतिष में नक्षत्र को सिओ (Sieou) कहा जाता है, जबकि अरबी नजूमी नक्षत्रों को मनाजिल, जो 'मंजिल' शब्द का बहुवचन है, कहते हैं। नक्षत्र : तारों के समूह पाश्चात्य विश्वकोशों में कहा गया है कि चीनी, अरब, बेबीलोनिया-निवासी और मिस्री वे पहले लोग थे, जिन्होंने आकाश में नजर आने वाले तारों के समूहों में किसी विशिष्ट आकृति को आरोपित कर उन्हें नाम दिया है। (संभवतः उन्होंने भारतीय प्राचीन वेदों उपनिषदों आदि का ज्ञान नहीं पाया इसलिए ऐसा लिखा है) यहीं पर नक्षत्रों एवं तारों का अंतर स्पष्ट हो जाता है। वास्तविकता तो यह है कि नक्षत्र सूर्य, चंद्र, मंगल की तरह कोई अकेली इकाई नहीं होते। दरअसल नक्षत्र कुछ तारों के समूह का ही विशिष्ट नाम हैं। नक्षत्र बनाम तारे आकाश में नक्षत्रों की रचना तारे करते हैं। ये तारे क्या हैं ? सबसे पहले हमें तारों के बारे में परिचय प्राप्त करें फिर नक्षत्रों, राशियों या ग्रहों और उनमें क्या अंतर है, यह अपने आप स्पष्ट हो जाएगा। तारे क्या हैं ? रात्रि के समय स्वच्छ आकाश में असंख्य तारे नजर आते हैं। लेकिन अंतरिक्ष में इनके अतिरिक्त और भी तारे हैं, जो हमें नजर नहीं आते, दूसरे शब्दों में जिनका प्रकाश या जिनकी रोशनी हम धरतीवासियों को नजर नहीं आती। पर वे मौजूद हैं, और जैसे-जैसे अंतरिक्ष विज्ञान उन्नति कर रहा है, जैसे-जैसे खगोलशास्त्री निरंतर शोधों में लगे हुए हैं, हमारे सामने नये-नये तारों की, नये-नये ग्रहों की और नये-नये सौर मंडलों की उपस्थिति स्पष्ट होती जा रही है। तारे किन तत्वों के बने होते हैं ? उनकी रचना की प्रक्रिया क्या है ? कुछ खगोलशास्त्रियों और वैज्ञानिकों का विश्वास है कि तारे वस्तुतः अंतरिक्ष में धूल के विशाल बादलों और उद्जन गैस अर्थात् हाइड्रोजन गैस से बने हैं। ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 13 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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