Book Title: Jyotish Kaumudi
Author(s): Durga Prasad Shukla
Publisher: Megh Prakashan Delhi

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Page 14
________________ ॐ जीवन में नक्षत्रों का महत्त्व ? भारतीय ज्योतिष में नक्षत्र का अत्यंत महत्त्व है। किसी भी व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक फैले षोड्श अर्थात् सोलह संस्कारों में नक्षत्र महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हम जिसे मुहूर्त कहते हैं, उसके मूल में नक्षत्र ही है। किसी भी व्यक्ति के जन्म के समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, वही उसका जन्म-नक्षत्र मान लिया जाता है तथा वह नक्षत्र पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से जिस राशि के अंतर्गत आता है, वही राशि उस व्यक्ति की जन्म-राशि मान ली जाती है। , नक्षत्र का भी एक स्वामी ग्रह मान लिया गया है, इसलिए जन्म के समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, उस नक्षत्र के स्वामी ग्रह की दशा या महादशा में उस व्यक्ति का जन्म हुआ, यह कहा जाता है। फिर ग्रहों के क्रमानुसार उस व्यक्ति के जीवन में उन ग्रहों की महादशाएं आती रहती हैं। (तैत्तिरीय ब्राह्मण कृष्ण आयुर्वेद, रामायण वाल्मीकीकृत) भारतीय ज्योतिष में नक्षत्रों का विशद् अध्ययन किया गया है। यह भी माना गया है कि नक्षत्र जातक की कुंडली में अपनी स्थिति के अनुसार शुभ-अशुभ फल के साथ-साथ नाना प्रकार की व्याधियों के भी कारक बनते हैं। नक्षत्रों पर विस्तृत अध्ययन करने के पूर्व यह समझा जाए कि आखिर नक्षत्र हैं क्या ? नक्षत्रों और तारों का क्या संबंध है ? इसी प्रकार राशियों और ग्रहों के साथ उनके रिश्ते कैसे हैं ? नक्षत्र का शाब्दिक अर्थ क्या है ? 'नक्षत्र' संस्कृत भाषा का शब्द है तथा उसकी व्याख्या करते हुए कहा ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 12 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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