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प्रति एक घृणा का भाव है। यह ठीक नहीं है। यह वृत्ति बदलनी चाहिए । अणुव्रत आंदोलन के माध्यम से हम यह घृणा का भाव मिटाने के लिए प्रयत्नशील हैं। इसलिए उसकी आचार संहिता में जाति आदि के आधार पर घृणा न करने का एक संकल्प रखा गया है। आप लोग भी इस मनोभाव से सर्वथा मुक्त होने का प्रयत्न करें। यह न केवल आपके आध्यात्मिक विकास की दृष्टि से आवश्यक है, अपितु स्वस्थ समाज व्यवस्था की अपेक्षा से भी महत्त्वपूर्ण है।
जै श्वे. ते महासभा भवन
कलकत्ता २७ मई १९५९
भय, शोक और जुगुप्सा से बचें
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