Book Title: Jyoti Jale Mukti Mile
Author(s): Tulsi Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 384
________________ पद्यानुक्रम पृ. सं. ३१५ २८१ २८१ ९२ ة २९२ ३३६ पद्य (संस्कृत) अदधुः केचन शीलमुदारं" न वै राज्यं न राजासीत् नान्यत्र बुद्धिशान्तिभ्यां..... ............................. भवबीजांकुरजनना....... मनः कुत्रोद्योगः सपदि वद ते गम्यपदवीं... रात्रिर्गमिष्यति हरीतकी मनुष्याणां...... (प्राकृत) चत्तारि परमंगाणि जरा जाव न पीलेइ जस्सत्थि मच्चुणा सक्खं.... धम्मो मंगलमुक्किट्ठ न वि मुंडिएण समणो..... समयाए समणो होइ ........... ४९ any on my aan १३३ ३३३ १७९ .३६० ज्योति जले : मुक्ति मिले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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