Book Title: Jyoti Jale Mukti Mile
Author(s): Tulsi Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 397
________________ प्रेरक वचन • विद्यार्थी किसी भी समाज और राष्ट्र के भावी कर्णधार होते हैं, भविष्य होते हैं। (१) व्यक्ति स्वयं सुधरकर ही दूसरों के लिए प्रेरक बन सकता है, उन्हें सुधार सकता है। (८) • स्वयं सुधरे बिना दूसरों का सुधारने की बात करने की कोई सार्थकता नहीं है। (८) • संयम जीवन का सौंदर्य है। (१०) • साधु-संतों का स्वागत-अभिनंदन प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से संयम का ही स्वागत-अभिनंदन है। (११) धर्म जीवन-जाग्रति एवं पवित्रता का एकमात्र साधन है। शांति का महामंत्र है। (१३) • आकांक्षा का कोई अंत नहीं होता। वह आकाश की तरह अनंत है। (१८) सदाचारमय जीवन ही वास्तविक जीवन है। (२५) जिस प्रकार अंक के बिना शून्य की कोई कीमत नहीं होती, उसी प्रकार आंतरिक विकास के अभाव में भौतिक विकास की कोई सार्थकता प्रकट नहीं होती। (२६) संकल्प में अचिंत्य शक्ति होती है। वह कठिन को भी सरल बना देता है। (३०) • संयम जीवन-विकास का मौलिक आधार है। (३१) • संयम के अभाव में सभी प्रकार की भौतिक ऋद्धियां-सिद्धियां निरर्थक प्रेरक वचन ३७३. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404