Book Title: Jyoti Jale Mukti Mile
Author(s): Tulsi Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 370
________________ नींद में बेसुध हए मानव के अंतर में चेतना का संचार हो, वह मुझसे जाग्रति की कुछ प्रेरणा पा सके। व्यापारी अपना दृष्टिकोण सम्यक बनाएं लोगों का अनुमान है कि ये व्यापारी ठगाई करते हैं। ये सौदागार हैं। औरों की तो बात ही क्या, भगवान से भी चूकनेवाले नहीं हैं। भगवान की प्रतिमा के सामने एक पैसे का प्रसाद चढ़ाकर लाख रुपए का मुनाफा मागेंगे। क्या यह धोखा नहीं है? आज की सभा में अधिकतर व्यापारी हैं। कौन अनुयायी है और कौन अनुयायी, यह भेद मैं नहीं कर सकता। जो पीछे-पीछे चले वही अनुयायी है। आज के तथाकथित अनुयायियों में बताए हुए मार्ग पर चलनेवाले कितने हैं? - मैं नहीं कहता, सब संन्यासी बन जाएं। संन्यास का मार्ग बहुत कठिन मार्ग है। उसे विरले ही ग्रहण करेंगे। मैं बहुत कठिन मार्ग नहीं, मध्यम मार्ग बताना चाहता हूं। आचार से भी पहले विचार है। बिना विचार आचार निभेगा नहीं। अतः मेरा सबसे पहला कार्य होगा कि मैं वैचारिक क्रांति दूं। वे संभाव्य बातें कहूं, जो मानवता की आधारभूत हैं। संसार में सबसे कीमती वस्तु जीवन है। एक ओर लाखों का वैभव तथा दूसरी ओर जीवन! वैभव से कहीं अधिक जीवन प्रिय है। मैं पूछना चाहता हूं कि पैसे के लिए जीवन है या जीवन के लिए पैसा। चलतेचलते कब मोटर का टायर पंचर हो जाएगा, फूंक निकल जाएगी, क्या किसी को कुछ मालूम है ? जोड़ी हुई धनराशि के मालिक अन्य लोग बनेंगे। जिसके लिए जीवन खपाया, उसके लिए पीछे से झगड़ा होगा। बंटवारा पंचों से ही नहीं, कोर्ट से भी नहीं होगा। इस धन के लिए क्या कुछ नहीं होता? मैं मानता हूं, प्रत्येक के जीवन में किसी-न-किसी रूप में महत्त्वाकांक्षा होती है, पर दुर्नीति क्यों? फूल में कांटा, मेह में बिजली, दीपक के आसपास धुंआ और विद्या में उच्छंखलता अखरती है। बिना पसीने का धन काम का नहीं __चोरी के बिना व्यापार चलता ही नहीं, यह धारणा बदलनी है। बेईमानी के धन से अमीर बनने की अपेक्षा क्या दरिद्र रहना अच्छा नहीं है? क्या सहज कृषता शोथ-युक्त मोटेपन से कहीं अच्छी नहीं है? - ज्योति जले : मुक्ति मिले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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