Book Title: Jivan ki Pothi
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 170
________________ जागरूकता शब्दं जाने ज्ञातुमिच्छाम्यशब्दं, तर्क जाने ज्ञातुमिच्छाम्यतर्कम् । चिन्तां जाने ज्ञातुमिच्छाम्यचिन्त्यं, हस्तावलम्बं देव ! देहि प्रशस्तम् ॥ मैं शब्द को जानता हूं, पर जानना चाहता हूं अशब्द को। मैं तर्क को जानता हूं, पर जानना चाहता हूं अतर्क को। मैं चितन को जानता हूं, पर जानना चाहता हूं अचितन को । मुझे थोड़े-से सहारे की आवश्यकता है, हस्तावलबन की आवश्यकता है। प्रेक्षाध्यान का प्रयोग एक सहारा है, हस्तावलंबन है, अशब्द को जानने के लिए, अतर्क को जानने के लिए और अचिंतन को जानने के लिए । यह प्रेक्षाध्यान के प्रशिक्षकों का शिविर है। जिन लोगों ने प्रेक्षाध्यान का प्रयोग किया है और प्रयोग करते-करते जो प्रशिक्षण की भूमिका तक पहुंच गए हैं वे भी अपने प्रशिक्षण को दोहराना चाहते हैं । यह ठीक है, जो स्वयं अभ्यासी नहीं होता, वह अच्छा प्रशिक्षक हो नहीं सकता । निरन्तर अभ्यास अपेक्षित होता है । सामान्य लोग शिविरों में अभ्यास के लिए आते हैं, किंतु वे प्रशिक्षक नहीं बनते । कई शिविरों में भाग लेने के पश्चात् जिनका अभ्यास निरन्तर चलता रहता है, वे अभ्यास की एक भूमिका तक पहंच जाते हैं और फिर उन्हें प्रशिक्षण की भूमिका तक ले जाया जाता है। वे प्रशिक्षक बनते हैं। प्रश्न होता है, साधना किसलिए ? हर आदमी जीवन में सफल होना चाहता है । असफलता का जीवन कोई जीना नहीं चाहता। सफलता का सबसे बड़ा सूत्र है जागरूकता। जो जागरूक रहते हैं, सफलता उनका वरण करती है। जो लोग मूर्छा में रहते हैं वे कभी सफल नहीं हो सकते, असफलता उनका पीछा नहीं छोड़ती। एक आदमी परदेश जाने की सोचने लगा । बहुत चिंतन के बाद वह इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि उसे दरिद्रता से छुटकारा पाने के लिए घर छोड़कर अन्यत्र चला जाना चाहिए। अपनी सारी स्थिति का आकलन करते हुए उसने दरिद्रता से कहा---'मैं परदेश जा रहा हूं। तुम यहां रहकर मेरे घर की रखवाली करना ।' दरिद्रता ने आश्चर्य के साथ कहा -- 'यह कैसे सम्भव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202