Book Title: Jivan ki Pothi
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 201
________________ १९४ जीवन की पोयी १. जिसमें सत्यनिष्ठा होती है । २. जिसमें करुणा होती है। ३. जिसमें मानसिक शांति होती हैं। ये तीनों समाज-परिवर्तन के सूत्र हैं। जागरूकता के लिए ऐसे व्यक्तित्व की आवश्यकता है जो शांत हो, सत्यनिष्ठ हो और करुणाशील हो। चिन्तनशील व्यक्ति को आज चिन्तन करना जरूरी है कि समाज को बदलने की हमारी प्रक्रिया क्या हो ? समाज बदले, किन्तु उससे पहले समाज को बदलने वाला बदले । प्रेक्षाध्यान की प्रक्रिया समाज को बदलने की नहीं किन्तु बदलने वाले को बदलने की है । जब तक बदलने वाला नहीं बदलेगा, तब तक कुछ नहीं होगा। दो ग्रामीण मित्र थे । एक सत्ता की कुर्सी पर जा बैठा । दूसरा मित्र उससे मिलने गया । उसे मूल नाम से पुकारा । उसने तिलमिला कर लात मारी । वह ग्रामीण मित्र बोल पड़ा, मैंने तो सुना था कि तू बदल गया, ऊची कुर्सी पर बैठ गया, पर मैं देख रहा हूं कि तू गधा का गधा बना हुआ आसन पर बैठने से कुछ नहीं होता । व्यक्ति के बदलने से सारी बात बनती है। आसन से नहीं, आसन पर कौन बैठा है, उससे सारे समाज के भाग्य का निर्माण होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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