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स्वाध्यायभावों को करके, जो आत्मा को भाते हैं, उन्हें । है। परिग्रह से रहित होकर सुख-दुःख देनेवाले निज भावों तप धर्म की प्राप्ति होती है। यथार्थ में उत्तम तप-धर्म का निग्रह करके जो निर्द्वन्द्व भावों को धारण करते हैं, निर्ग्रन्थ मुनियों के ही होता है।
उन अनगारों को आकिञ्चन्य धर्म की प्राप्ति होती है। 8. उत्तम त्याग धर्म- संपूर्ण पर-द्रव्यों से मोह | एकमात्र निज स्वभाव को ही स्वीकारना और पर-पदार्थों का त्याग करके मन-वचन-काय से निर्वेद की भावना | से भिन्न रहना उत्तम आकिञ्चन्य-धर्म है। को प्राप्त होना त्याग है। दान देना, लोभ का अभाव 10. उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म- आत्मा ही परम ब्रह्म होना त्याग-धर्म है। औषध, शास्त्र, अभयदान, आहारदान है। उस निजब्रह्म में लीन होना ही परम ब्रह्मचर्य है। ये चार प्रकार के दान हैं। सत्पात्रों को निर्दोष द्रव्य का | व्यवहारिक दृष्टि से स्त्री मात्र के प्रति मातृभाव का होना, दान देना ही उत्तम त्याग-धर्म है।
अपने से ज्येष्ठ को माता, अपने से छोटी को पुत्री, बराबर 9. उत्तम आकिञ्चन्य धर्म- ममेदं भाव का अभाव के लिए बहिन की दष्टि से देखना उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म होना यानी पर-द्रव्यों से ममत्व का त्याग करना आकिंचन्य | है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का रामटेक में मंगल चातुर्मास
संत शिरोमणी प.पू. आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज का ससंघ मंगल पावन वर्षायोग श्री शांतिनाथ दि. जैन अतिशय क्षेत्र रामटेक जि. नागपुर (महा.) में सानंद हो रहा है।
आचार्य श्री का रामटेक में भव्य मंगल प्रवेश दि. २९.६.२००८ रविवार को हुआ। मंगल प्रवेश बहत ही उत्साहित वातावरण में बाजे-गाजे के साथ हआ। प्रवेश के समय हजारों धार्मिक बंधु उपस्थित थे। पुरुषवर्ग सफेद व महिलायें केशरी परिधान में
थीं।
___ ज्ञात हो कि आचार्यश्री संघसहित सिलवानी (म.प्र.) से लगभग ४५० कि. मी. की पदयात्रा कर श्री रामटेक पहुँचे है। रामटेक क्षेत्र में प्रवेश के पूर्व आचार्य श्री ने मनसर में रात्रि में 'रामधाम' में विश्राम कर सुबह विश्व के सबसे बड़े ॐ का निरीक्षण किया।
वर्षायोग मंगलकलश-स्थापना का कार्यक्रम २० जुलाई २००८ को हजारों धर्मप्रेमी बंधुओं की उपस्थिति में आनंद-उत्साह के वातावरण में सम्पन्न हुआ।
आचार्यश्री के प्रवचन प्रति रविवार को दोपहर २.३० बजे से होते हैं।
देश के विभिन्न स्थानों से श्रद्धालु आचार्यश्री व अतिशयकारी १००८ भ. शांतिनाथ के दर्शनार्थ पहुँच रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि रामटेक जी में आचार्यश्री विद्यासागर जी के आशीर्वाद से पाषाण निर्मित चौबीसी एवं पंचबालयति जिनालय का निर्माणकार्य द्रुतगति से चालू है। यह वास्तु विश्व की एक अनुपम कृति होगी।
रामटेक नागपुर से लगभग ५० किमी. की दूरी पर है। नागपुर से बस व रेल सुविधा उपलब्ध
सम्पर्क सूत्र- सतीश जी कोयलेवाले (अध्यक्ष), ९४२३६८५७४१ वर्षायोग समिति- रमेश मोदी (महामंत्री), ९३२६१७६१०५ प्रकाशचंद जी बैसाखिया (कोषाध्यक्ष), ९८२२९२७२५५ समत जैन, मंत्री, ९८९०१२७१९१
रवीन्द्र जैन, इंजिनियर (उपमंत्री), ९८५०३३७७८७
14 सितम्बर 2008 जिनभाषित
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