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लिये सूर्य कुछ कहता नहीं है कि तुम खिड़की खोलो । इसी प्रकार तीर्थ का संचालन करनेवाले भी ऐसे ही चले गये। उनके पीछे-पीछे जो हो गये, वो भी उनके साथ चले गये और रुकनेवाले हम जैसे यहीं पर । यह मात्र सत्य की बात है । उसको अपनाने के लिये कोई आता है, तो ठीक, नहीं आता तो भी ठीक है । हमें सदा सत्य की छाँव में ही रहना है, सत्य वह है, जो अजर, अमर, अविनाशी है। सत्य ही जीवन असत्य डर है, मौत है, और उसमें आकुलताएँ भी अधिक जिस शाश्वत सत्य के अभाव में आज सारी दुनियाँ विकल, त्रस्त है, उस सत्य की प्राप्ति करके उस सत्य की शीतल छाँव बैठकर गाँधी जी ने भारत को परतन्त्रतारूपी जंजीरों से मुक्त किया था । उस सत्य को हमें जीवन में अपनाना है । उस सत्य की छाँव को हमें कभी नहीं छोड़ना है, चाहे हमारा सर्वस्व लुट जाये, हमें कोई चिन्ता नहीं है, पर सत्य की छाँव सत्य का आलम्बन, ना छूटे।
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आचार्य महोदय सतत जयवंत रहे अर्थात् इस कामना के साथ अपने उन आचार्य को नमस्कार किया। केवल मोक्षमार्ग की प्ररूपणा शरीर के द्वारा, इस दिगम्बर मुद्रा के द्वारा ही की है। बोलने के द्वारा मोक्षमार्ग का प्ररूपण नहीं होता, बिना बोले ही उस स्वर्ण या अनमोल हीरे की कीमत हो जाती है। बोलने से उसकी कीमत सही नहीं मानी जाती। यह हीरा ऐसा है, जिसकी कीमत आज तक सही-सही नहीं लगाई गई, क्योंकि उसको जो खरीदनेवाला व्यक्ति मुँह माँगा दाम देकर खरीदता है । जब खान में से वह निकलता है, तब उसकी कीमत देकर खरीदता है। जब खान में से वह निकलता है तब उसकी कीमत हजार रुपये भी नहीं होती और बाजार में जाते ही उसकी कीमत लाखों की हो जाती है। बेचनेवाला और खरीदनेवाला दोनों मालामाल हो जाते हैं।
सत्यरूपी वरदान को आप छोड़िये मत, और इस असत्य के ऊपर अपने जीवन का बलिदान करिये मत । सत्य के सामने अपना जीवन अर्पण हो जाये, तो वह मात्र अर्पण ही नहीं, एक दिन दर्पण बन जायेगा। आज तक संसारी प्राणी की दशा यही हुई है । अन्त में यही कहूँगा जो श्लोक पहले कहा गया है
इस पवित्र जिनवाणी की बात । इसकी छाया में जो कोई भी आया उसका जीवन निहाल हो गया । हम भी यही चाहते हैं कि उस सत्य की छाँव में आकर के हमारा जीवन जो अनादिकाल से अतृप्त है, उसे तृप्त करें, सुखमय बनायें ।
'महावीर भगवान की जय'
अवाक्विसर्गः वपुषैव मोक्षः मार्गे प्रशस्तं विनयेव नित्यं । ध्यानप्रधाना समतानिधाना आचार्यवर्यं सततं जयन्ति ॥
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12 सितम्बर 2008 जिनभाषित
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'चरण आचरण की ओर' से साभार
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