Book Title: Jinabhashita 2004 02
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

View full book text
Previous | Next

Page 2
________________ श्री जी का अभिषेक पाठ उत्तमसागर जी तर्ज - सुरपति ले अपने शीश ..... श्री जी का अभिषेक, करें हम नेक, शुद्ध जल द्वारा मैना सुन्दरी ने गंधोदक के द्वारा धुल जाये पाप हमारा .......... ॥टेक॥ किया क्षण में कोढ़ निवारा। श्री जी का .. श्री जी अनंत गुण वाले हैं, परम शुद्ध तन वाले हैं गंगा की धारा पर्वत से, गिरती है श्री जी के शिर पै इनके चरणों में वंदन कर शत बारा इसीलिये तो जग में जन-जन द्वारा फिर करें शुद्ध जल धारा। श्री जी का पूजित है गंगा धारा। श्री जी का ....... सुर इन्द्र लोक भी स्वर्गों में, अभिषेक करें नित भवनों में सुर गणधर जिन्हें न छू पाये, हम आज इन्हें हैं छू पाते हैं पूज्य अकृत्रिम बिम्ब सकल सुर द्वारा स्वर्गों में भी सुखकारा। श्री जी का ..... यह धन्य घड़ी मिल जाये बारंबारा त्रय अष्टाह्नीक के पर्वो में, श्री नंदीश्वर के भवनों में यह भाव भाव कर धारा । श्री जी का ... सुरपति भी जाते लेकर सब परिवारा सुख शांति अगर तुम चाहो तो, झट धोती पहन कर आओ तो अभिषेक करें हरबारा। श्री जी का कर एक बार तो प्रभू की शान्ति धारा श्री जी पर जल जो ढारत है, वह गंधोदक सुख कारक है | बने जीवन उत्तम सारा। श्री जी का ............. आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज पर विशेष मोहर जिनेन्द्रपंचकल्या प्रतिक्षा एवं यमजस्थ महोत्सव याfarana कवलजार कल्याणक-24अरवरी 2004 परम पूज्य १०८ दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ बिलासपुर नगर में विराजमान हैं। उनके सानिध्य में सम्पन्न होने वाले श्रीमज्जिनेन्द्र पंच-कल्याणक प्रतिष्ठा, विश्व शांति महायज्ञ एवं त्रय गजरथ महोत्सव के अवसर पर २४ जनवरी २००४ को ज्ञानकल्याणक के दिन आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज पर विशेष आवरण एवं विशेष मोहर जारी किया गया। विशेष आवरण एवं मोहर श्रीमज्जिनेन्द्र पंच-कल्याणक प्रतिष्ठा एवं त्रयगजरथ महोत्सव समिति द्वारा भारतीय डाक विभाग के सहयोग से जारी हुआ। विशेष आवरण में भगवान श्री १००८ ऋषभदेव जी एवं आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का चित्र मुद्रित है। साथ ही साथ सिंघई परिवार बिलासपुर द्वारा क्रांति नगर में नवनिर्मित जैन मंदिर को भी दर्शाया गया है। विशेष मोहर में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को आशीर्वाद देते हुए दिखाया गया है। इस विशेष आवरण एवं मुहर की अभिकल्पना एवं विरुपण अतुल जैन, महासचिव, छत्तीसगढ़ फिलेटालिक एसोसिएशन दयालबंद बिलासपुर एवं डॉ. कमलेश जैन प्रोफेसर, सी.एम. डी. कालेज बिलासपुर द्वारा की गई है। यह विशेष आवरण एवं मोहर पंच-कल्याणक प्रतिष्ठा एवं त्रयगजरथ महोत्सव के स्थल व्यापार विहार त्रिवेणी भवन के पास २४ जनवरी ०४ को सुबह जारी किया गया। इसके पूर्व कुण्डलपुर (म.प्र.) में दि. २२.२.२००१ को तथा सद्लगा (कर्नाटक) में दि. ८.२.२००३ को आचार्य | विद्यासागर जी महाराज पर विशेष आवरण एवं विशेष मोहर जारी किया गया है। अतुल जैन जनरल सेक्रेटरी छत्तीसगढ़ फिलैटोलिक एसोसिएशन, दयालबन्द, बिलासपुर (छ.ग.)- ४९५ ००१ Jain Education International Jain Education International For Private & Personal Use Only For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 ... 36