Book Title: Jinabhashita 2003 05
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 17
________________ का संदेश सुनाया। उन्होंने कहा कि धर्म सिर्फ सामाजिक कराजात । वासवानी कहते हैंमें नहीं है बल्कि दर हकीकत सच्चाई है। मोक्ष सिर्फ सामाजिक | "अनेकान्त-स्याद्वाद में महावीर ने सिखाया है कि दुनिया बाहरी क्रिया कांड से नहीं मिल सकता, लेकिन सच्चे धर्म के | का कोई भी एक सिद्धान्त सच्चाई को पूरा-पूरा बयान नहीं कर स्वरूप का सहारा लेने से मिलता है। धर्म के आगे इन्सान और | सकता, क्योंकि सत्य अनन्त है। हमने अभी कुछ मिसालों में धर्म इन्सान के दरमियान रहने वाले भेदभाव भी खड़े नहीं रह सकते । | के नाम से बहस मुवाहिसे और नफरत की वजह से आज तक कहते हुए हैरानी होती है कि महावीर की इस तालीम ने समाज के | तकलीफें उठाई हैं। महावीर की वाणी नौजवान लोग सुनें और दिलों पर काबू पा लिया और पहले के खराब संस्कारों से बने हुए । | उनकी हमदर्दी और बराबरी का संदेश गाँव-गाँव और शहरभावताब को बहुत जल्द नेस्तनाबूद कर दिया और सारे मुल्क को शहर ले जायें, अलहदा-अलहदा धर्मों के भेदों और झगड़ों का अपने मती कर लिया। तसफिया करके वह आध्यात्मिक जीवन के बारे में नई देशभक्ति, भगवान् महावीर ने जहाँ हिंसा को बन्द किया वहाँ मजहबी नये राष्ट्रीय जीवन को पैदा करें, क्योंकि सत्य इन्तहा (अनन्त) है इखतलाफात को भी दूर कर स्याद्वाद का उपदेश दिया और कहा और धर्म का उद्देश्य फूट और झगड़ा करने का नहीं बल्कि उदारता कि सत्य अनन्त हैं इसलिए हर एक सिद्धान्त में कुछ न कुछ | और प्रेम का पाठ पढ़ाना है।" सच्चाई है, उसको स्याद्वाद की कसौटी पर परखो। साधु टी.एल. | क्रमश:.... जैन संत चिन्मय सागर जी की शराब बंदी की मुहिम प्रगति पर मण्डला ! सुनसान जंगलों में कठोर तपश्चरण करने के लिए प्रसिद्ध जैन मुनि श्री 108 चिन्मय सागर जी महाराज द्वारा प्रारंभ किया गया आदिवासियों के उद्धार का अभियान निरंतर प्रगति पर है। जूना मण्डला के आदिवासी बहुल ग्राम से प्रारंभ यह अभियान आसपास के दर्जनों ग्रामों में फैल चुका है। झिंगाटोला, बरबेला, हिरनाही टोला, क्षीरपानी, माराढारू, तिलईपानी, छिक्लाटोला, सिमरिया, बर्राटोला, छपरी, गुणाजनिया आदि उन आदिवासी बहुल ग्राम के नाम हैं जिनके आदिवासी स्वयं ही बगैर किसी दबाव के मुनि श्री के पास आकर माँस-मदिरा का त्याग कर रहे हैं। इस अति सफल अभियान के पीछे मुनि श्री की तपस्या का प्रभाव ही है कि आदिवासी मात्र मुनि श्री का आशीर्वाद पाने शराबवंदी का दृढ़संकल्प ले रहे हैं। इनमें से झिगाटोला, छिवलाटोला, सिमरिया, बर्राटोला, तिलईपाती का हाल तो यह है कि यहाँ बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी शराबवंदी हेतु संकल्पित हो चुके हैं, शत प्रतिशत शराबवंदी वाले इन गाँवों को आदर्श ग्राम घोषित किया जा रहा है। आदिवासियों के उद्धार से शासन-प्रशासन भी खासा उत्साहित है क्यों कि आदिवासियों की आर्थिक अवनति का मूल कारण शराब थी आज शासन-प्रशासन भी मुनि श्री के साथ आ खड़ा हुआ है और वनराज्यमंत्री श्री देवेन्द्र टेकाम एवं कलेक्टर-संजय शुक्ला ने शत प्रतिशत शराब बंदी वाले सभी गांवों (आदर्श घोषित ग्रामों) को विकासशील बनाने हेतु मुनिश्री के सान्निध्य में शासन के सहयोग से आदर्श ग्राम जूना मण्डला में सम्पन्न एक कार्यक्रम में सामुदायिक भवन का शिलान्यास, आंगन बाड़ी केन्द्र का शिलान्यास, मनोरंजन हेतु रंगमंच का शिलान्यास संपन्न हो चुका है। इसके अतिरिक्त शासन-प्रशासन ने स्पष्ट रूप से घोषणा कर दी है कि जो भी आदिवासी मुनिश्री की प्ररेणा से व्यसन मुक्त होंगे उन्हें इसी तरह सड़क पानी से युक्त अन्य तरह की सुविधायें प्रदान कर विकसित किया जावेगा। कुछ समय पूर्व मुनिश्री 108 चिन्मय सागर जी महाराज का आशीर्वाद लेने प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह पहुँचे उन्होंने बताया कि वे भोपाल से शराबवंदी व व्यसन मुक्ति के इस अनोखे अभियान की खबर सुनकर ही मण्डला आये हैं । वे इस अभियान की सफलता से काफी आश्चर्य चकित हैं और इसे मुनि श्री की तपस्या का प्रभाव ही मानते हैं। साथ ही उन्होंने आदर्श ग्राम घोषित जूना मण्डला हेतु 80 लाख रूपये की सिंचाई परियोजना की मंजूरी दे दी जिससे आदिवासियों की 250 से 350 एकड़ भूमि सिंचाई युक्त हो सकेगी ज्ञात हो कि पूर्व में मुनिश्री जूना मण्डला के जंगलों में ही तपस्यारत थे आदिवासी युवक मंगल एवं माणिक लाल, शिवपुजारी, माहूलाल भी इस अभियान के प्रसारित करने में सहयोग प्रदान कर रहे हैं। इस अभियान के परिणाम स्थाई होने की पूर्ण संभावना इसलिए है क्योंकि कुछ आदिवासी ग्रामों की पंचायतों ने तो शराबवंदी हेतु कठोर नियम वना लिये हैं और शराब पीने वालों को समाज से निष्कासित करने तक का प्रावधान कर लिया है। माँस मदिरा का त्याग करने वाले आदिवासी इस हेतु संकल्प पत्र भी भर रहे हैं और तकरीवन 3500 संकल्प पत्र तो भरकर आ चुके हैं। अमित पडरिया - मई 2003 जिनभाषित 15 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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