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वजह है कि शाकाहारी व्यक्ति मांसाहारियों की तुलना में अधिक | बातों को गौड़ करते हुए पूर्ण समर्पित भाव से निर्माण कार्य में जुट चुस्त होते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक शाकाहारी लोग मांसाहारियों की | जाना चाहिए। जिस तरह पानी में बताशा घुल जाता है किंतु अपनी तुलना में देर से बूढ़े होते हैं।
मिठास से पानी को मीठा कर देता है। उन्होंने कहा कि बड़े बाबा
इं.सुरेश चन्द्र जैन के मंदिर से अनेक व्यक्तित्व जुड़ते जा रहे हैं। इससे विज्ञान और अध्यक्ष- दि. जैन महासमिति ( उत्तरांचल )
अनेक वैज्ञानिक भी जुड़ गये हैं। जो कि इस महाप्रसाद के निर्माण खतौली इकाई नम्बर -6
को हजारों वर्षों तक के लिए तैयार करने में सहायक बन रहे हैं। कुंडलपुर में शिलास्थापना कार्यक्रम संपन्न
उन्होंने कार्यकर्ताओं को पूर्ण गंभीरता एवं एकता के साथ कार्य कुण्डलपुर/बड़े बाबा का भारत वर्षको जनता उच्च सिंहासन
करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए समर्पित रहने को कहा। पर बैठाना चाहती है ताकि उनकी छत्रछाया में हम वीतरागता की
आचार्य श्री ने कहा कि पूर्वजों ने बहुत समर्पण के साथ हजारों वर्षों उपासना कर सकें । संसार में दुख वीतरागता के अभाव में होता है।
से इस मंदिर की व्यवस्था की है हमें इसे बनाये रखते हुए उनके उपर्युक्त उद्गार आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने
कार्य को आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि 1500 वर्षों से विराजमान कुंडलपुर में निर्माणाधीन बड़े बाबा के मंदिर के गर्भगृह के शिला
इस भव्य प्रतिमा के कितने साधु महात्माओं ने दर्शन प्राप्त किये स्थापना समारोह में अभिव्यक्त किये। समारोह के प्रारंभ में विमान
होंगे। और आज उसी का प्रतिफल है कि यह मंदिर इतना विशाल जी में श्री जी को विराजमान कर ऊपर आचार्य श्री के संघ सहित
स्वरूप प्राप्त करने जा रहा है। शोभायात्रा पर्वत पर कार्यक्रम स्थल पहुँची जहाँ अशोक पाटनी
सुनील वेजीटेरियन किशनगढ़, निरंजनलाल बैनाड़ा आगरा, महेन्द्र कटारिया कानपुर,
प्रचार संयोजक सुंदरलाल जी इंदौर आदि ने बड़े बाबा का मस्तकाभिषेक करने का
कुण्डलपुर क्षेत्र कमेटी कुण्डलपुर सौभाग्य प्राप्त किया। इसके पश्चात् कुंडलपुर क्षेत्र समिति के कवि कैलाश मड़वैया को आल्हा साहित्य अध्यक्ष संतोष सिंघई एवं वीरेश सेठ ने निर्माण संबंधी जानकारी
सम्मान प्रदान की।
जबलपुर, ११ अप्रैल ०३ चेतीचाँद एवं गुड़ी पड़वा के इसके पूर्व पर्वत पर स्थित मंदिर निर्माण स्थल पर आयोजित | अवसर पर वयम् परिषद् जबलपुर के तत्त्वावधान में प्रसिद्ध हिन्दी कार्यक्रम में बड़े बाबा एवं ज्ञानसागर जी महाराज के चित्र का | एवं बुन्देली कवि कैलाश मड़बैया महामंत्री म. प्र. बुन्देल खण्ड अनावरण बैनाड़ा परिवार आगरा एवं महेन्द्र कटारिया कानपुर ने साहित्य एवं संस्कृति परिषद् भोपाल को वर्ष २००३ का आल्हा किया। जबकि दीप प्रज्ज्वलन अशोक पाटनी एवं सुशीला पाटनी साहित्य सम्मान अखिल भारतीय आल्हा अनुसंधान परिषद् द्वारा किशनगढ़ ने किया। आचार्य श्री की संघ सहित गरिमामय उपस्थिति प्रदान किया गया। हॉल ही में बालाघाट में भी इतिहास एवं एवं ब्रह्मचारी जिनेश भैया जी के मंत्रोचारण के साथ मंदिर निर्माण पुरातत्त्व शोध संस्थान द्वारा १८ अप्रैल, २००३, को गंगोत्री सम्मान हेतु जयघोष के नारों के साथ प्रथम शिला स्थापित की गयी। प्रथम
श्री मड़बैया जी को उपलब्ध हुआ। उल्लेखनीय है कि श्री कैलाश शिला को स्थापित करने का सौभाग्य श्री अशोक जी पाटनी,
मड़बैया की लोक साहित्य पर दस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। आर.के. मार्बल किशनगढ़ ने प्राप्त किया। इस अवसर पर अनेक
| उनकी आगामी पुस्तक "बुन्देलखण्ड के जैन तीर्थ" शीघ्र प्रकाश्य जाने माने दानवीरों पाटनी परिवार, बैनाड़ा परिवार एवं कटारिया
है। "आँगन खिली जुंदइया" के दूसरे संस्करण का लोकार्पण भी परिवार के अलावा अनेकों दानदाताओं ने मंदिर निर्माण हेतु दानराशियों
आगामी ३ जून को भोपाल के रवीन्द्र भवन में होने जा रहा है। की घोषणा की। सागर में संपन्न पंचकल्याणक एवं गजरथ महोत्सव की बचत राशि का चेक भी मंदिर निर्माण समिति को प्रदान किया
समत्यिकालाकार, गया। इस अवसर पर मंदिर निर्माण के ठेकेदार रामजी भाई ने कहा कि उन्होंने अभी तक राजस्थान देलवाड़ा के पास अनेक श्वेताम्बर मंदिरों का निर्माण किया किंतु इस ऐतिहासिक दिगंबर जैन मंदिर को निर्मित करने में वे अपना श्रेष्ठतम कार्य करते हुए आर्थिक घाटे के साथ भी निश्चित समय अवधि में पूर्ण करने का प्रयास करेंगे। आचार्य श्री ने अपने मंगल उद्बोधन में आगे कहा कि बड़े
श्री कैलाश मड़बया को स्मृति चिह्न भेंट करते हुए श्री भजनलाल महाविया, श्री बाबा की छत्रछाया में आने वाला प्रत्येक व्यक्ति बिना प्रभावित हुए
आर. आर. फौजदार डॉ. नरेश पाण्डे एवं श्री सूरजराय 'सरज' रहता नहीं। उन्होंने कहा कि अब मंदिर निर्माण के अलावा अन्य
डॉ. अरविन्द जैन
सरकार
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मई 2003 जिनभाषित
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