Book Title: Jin Pujan
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 3
________________ श्री आदिनाथ जिन पूजन स्थापना ज्ञानोदय छंद आदि जिनेश्वर आदिनाथ प्रभु के चरणों में करूँ नमन। ___नाभिराय के राजदुलारे माँ मरुदेवी के नंदन।। पतित जनों को नाथ आपने दिया मुक्ति का अवलंबन। श्रद्धा भाव विनय से करता तव चरणों का आह्वानन।।1।। ऊँ ह्रीं श्रीआदिनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननम्। ऊँ ह्रीं श्रीआदिनाथजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम्। ॐ ह्रीं श्रीआदिनाथजिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणम्। द्रव्यार्पण ज्ञानोदय छंद क्षीरोदधि का क्षीर वर्ण सम, श्रद्धा जल लेकर आया श्री चरणों में भेंट चढ़ाने, और नहीं कुछ भी लाया।। आदीश्वर जिनराज आपने, श्रद्धा जल यदि स्वीकारा। पा जाऊँगा निश्चित ही मैं, जन्म मृत्यु से छुटकारा।।1॥ ऊँ ह्रीं श्रीआदिनाथजिनेन्द्राय जन्म जरामृत्युविनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा चंदन जला स्वयं किंतु, अपनी सुगंध फैलाता है। तव चरणों की पूजा का वह, द्रव्य स्वयं बन जाता है।। आदीश्वर जिनराज हमारे, चंदन को यदि स्वीकारा। पा जाऊँगा भवाताप से, निश्चित ही मैं छुटकारा।।2।। ऊँ ह्रीं श्रीआदिनाथजिनेन्द्राय भवातापविनाशनाय चंदनं निर्वपामीति स्वाहा।

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