Book Title: Jeevvichar
Author(s): J R Shah
Publisher: J R Shah
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No.
33४
Date
या नरडुलूमि डेवी? :कानरलूमि घांतरासने डरपत नेवी ईश होय. भिनो स्पर्श
सत्यंत जायी होय छे. से नरऽभिमां डाणी समासनी राति डरतां पापधु लयाना अति लीघामने गाढ संघडार होय छ । प्रडारानुं तो नाभभात नधी. त्यांडोई जारी-बाराहि उपन्टीलेशन नथी +सीमडाली गणो रेपी, धुनियानी वामां दुडवी थी- उरत पए
अनंतशुणी ऽऽपाशात्यांनी लूभिमां होय छे. +हेर हेर, योमेर सीट-जएजापेशामासने विष्टा वा दुधमय पुयालो पथरायेखा होयाछे,न्यांपा मुडो त्यां सोहीन्यरषी-परमेवा सशुथि पार्थो होयाछे. स्मशाननी भयारे लागु हेड हेडा भासहाडछाडेवाढगला जडडायेवा होय छामने सोही-पर रेवी नहीमो पती होया छे. 'सडी रहेदा मडहांधीमधिड धभारी रही होयछ. थापि मनुष्य तो सहन न डरी शडे. खाना सडानो जहणू भारी रहेलो भान ठाइदियो ने मनुध्यतोऽनां मुंजी 3 ऽसत्ता न्यांशीय पस्ती परापतां मोटा शहरमा हावीनेहवामां सावतो | तेशहेरनार तमाम मनुध्यो जतम थर्ड जय. मनुष्यो तो शुं?
इतरा- लिवाडा-उँघर या प्राणीसो पा झालथी जुक्ता नरहे! । नरहना नषो पिरो भएापा योग्य : पण मिथ्यारि, महारंली, परिग्रही, तीप्रोधी, शीव रहित, पापनी
भतिवाणी मने रौद्रा परिणामी जुषनरायुने बांध छे. (णा नारहीना न्यो नपुंसह येयाला होय छे. (शान्तमनु शरीर वैहिय होय छे. सेटले नानुभोटुंथईशडे. तेभy
शरीर द्याय, छेडाय तो पा पारानी नेमलेगुंघर्ष नय. (साते नर पृथ्वीमा सेनहत खने मनोन्यात वेहना होय छे.
पहेली Hए नरमा परमाधामीकृत पेना गए होय छे. रपा नारडो मरीने पुन: नरऽगतिमा न हन्मे. तेन पगति पान पामे.
नरमांधी नीऽणी जुप मनुष्य डे तिर्थय गतिमा हन्मे छे. (ड) नारखीनां योने दृष्टा, नील, आपोतनए मशुल लेश्या होय छे. (ण नारडीनां पाने पिलंगइन (मपितान-परंतु मिथ्यात्व सहित)
KOKUYO W-N82800

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