Book Title: Jeevvichar
Author(s): J R Shah
Publisher: J R Shah
View full book text
________________
No.
Date
(389)
पाएगीनो जे घडीमां निडाल डरी हेवी भेखे.
(E) रस्तामां दोणायेल पाएशीयां याल नहीं. अरए। डे, तेथी पाएगीनां लपोनी हिंसा तो थाय ४, पहा साधे, पाएगीमां यगनो भेल उतरवाथी, तेमां जे घडी जाह, खसंज्य संमूर्च्छिम मनुष्योनी उत्पत्ति खने विराधनानी परंपरा श३ थर्ध भय.'
क्भ्यां जाह, लोवन- पाली खेंडा भूडयां नहीं. डारला डे, जे घडी जाह, तेमां संमूर्च्छिम मनुष्यो उत्पन्न थाय छे. माटे, न्भ्यां आ, थानी आहि घोर्धने पीधां जाह, थानी आहि वासगो जे घडी पहुंलां सूडार्ध भय तेम डखं उचित छे. डेटलांङ समय श्रापडो, थाली जाहि इमालथी लूंछीने डोरी ङरी नांजता होय छे.
(92)
भगती वखते सेंहवाडो नमीन उपर न पडे तेनी डाभ राजवी. भे तजियताहिनां डाराएगे, लोग्न सेंडु भूयुं पडे, तो तुरंत इतराहिनी खनुया डरीने, संमूर्च्छिम मनुष्यनी विराधनामांथी जयपुं उचित छे. पणी, नभ्यां जाह, खेंडा थाजी कोरे अर्ध डुंडमां राजेल पाएगीमां नांखीने न धोपां. घणे स्थळे जेपी प्रथा भेषां भजे छे डे, हुँडमां पाएगी राजेस होय खने तेमां ४ मनारा थाजी वगेरे धोर्ध नांखे. नाम डरवाथी, डुंडना पाएगीमां जसंज्य संमूर्च्छिम मनुष्यनी हिंसानी परंपरा उली थाय छे.
हॉटल - सारी वगेरे उपर डोर्घ पए। लोग्न न लेपुं. अरगडे, त्यां संमूर्च्छिम मनुष्योनी विराधना धगी होय छे.
स्थंडिल (संडास) जहार जुल्लामा ४ क्याय तो सारं. पर्तमानमां, याताण पापानां संडासोथी हिंसङता पधी छे. मनुष्यनी विष्टा, पाताल दूवामां खेडडी थाय छे रखने संडासमां गयाँ जाह, खेड डोल भेटलं पाएगी पहुए संहर नांजदुं पडे छे. खंहर तडको कोरे न मजवाथी रखने पाएगी पए। साथै होवाथी, विष्टा सूडाती नथी. जे घडी बाह, जनेड वर्षो सुधी, असंख्य संमूर्च्छिम मनुष्योनां तन्म-मरागनी परंपरा थाले छे. वजी तेयां, खनेड प्रडारनां त्रस भवो पहा उत्पन्न थर्ध भय छे. माटे वर्तमानानां संडासो खेटले भुवहिंसांनी ईडटरी छे. संडासनं पाय घयुं भोटुं छे, पायली३ खात्मासोखे, जा पायथी डोर्घया हिसाजे जयपुं भेजे, राज्य खेटलो प्रयत्न डखो
४ भेजे.
(90)
(92)
(93)

Page Navigation
1 ... 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392