Book Title: Jeevvichar
Author(s): J R Shah
Publisher: J R Shah
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(34)
ઉપકે
જીવોના પ૬૩ ભેદ સંબંધી પાંચ ટ્રાર
। ५५
प्रथम हार : शरीरं-मवगाहना हार
शरीर सवगाहना = नवोनां शरीरनुं प्रभाएमाप: यार्ड
सही शरीरने मनुलक्षीने तेनी याई हेवानी छ, मेटले शरीर संबंधी डेटसी स्पष्टता रीमे:शरीर' से लुपने हिया श्वानुं साधन छे. डाया, ऽसेपर, तनु,यय, उपयघ, संघात, हेह मेजयां तेनां पर्याय शल्होछे. संसारी जुपो सनंता छे, परंतु तेमना शरीरो मसंज्यात छे. तेना ही-ही- खपेक्षामेमनेड प्रडारो पाडी शहाय छ, पए, रैन शास्ाडारोगे डार्य-धारानी समानताने मनुषहीने तेना प प्रहार
पाडेला छे: मोहारि ,रामियामाहार,लक्स, पाडा. शाखौद्यारिड शरीर : शरीर उधार-उत्कृष्ट पुद्दालोतुं जनेयु होय,ते 'मोहारि शरीर' उपाय. सथपा के शरीर मन्य शरीरोनी सपेक्षा उय्य स्पश्पपाणुं होय ते मोहारिड हेपाय. अथवा केनुं छेदन,लेन,
ग्रहए, हन पोरे थर्छ शडे ते 'सौधारि' हेयाय. (रण पैहिय शरीर :रे शरीर विपिप पिहियाने पामे,जेटले डे, नानाभांथी
भौटुं, मोटामांधी नानू, नडामाथी. पात', पातणाभांधी नई, रोमांधी
मनेऽ , सनेडमाथी - सेम विविध प्रहारतुं मनी शडे ते वैहिय शरीर'. मासाहारा शरीर : सहम मर्थना संहनो निपारहा श्यामाटे,यतुश पूर्वधारी मुनि, डेपणी लगपंत पासे नवा भाटे, विशुद्ध पुड्गलोर्नु
जनावेj ने खव्याघाती शरीर धारए। उरे, ते माहार शरीर' हेवाय. (तेरस शरीर: शरीर तेस्थी जनेषु होय मेरले ३ ते भय
होय, ते तैस शरीर' हेवाय. (प) हार्म। शरीर आत्मप्रदेश साये मेऽत्ता पामेलो जेवो ऽनो
समूह, ते 'हार्भा शरीर' हेयाय.
सौहारिक ऽरतां पैझिय, पैहिय उरतां माहारऽ , माहारऽ डरतां । तेस, सने तैस हरतां डाएर शरीर पधारे सूक्ष्म होय छे.
मनुष्य, पशु-पक्षी, पनस्पति योरेनां शरीरो मोहारिक होय छे. व नार सने हेयोने स्वलापी वैठिय शरीर होय छे.
XOKUYO W-NB2300

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