Book Title: Jeevvichar
Author(s): J R Shah
Publisher: J R Shah

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Page 363
________________ ................... No. Date 349 ', १ खाहारङ शरीर, उपर भएगाप्यां' मुंग्ज, डोर्ध डारा प्रसंगे यतुर्हश पूर्वघर मुनिखो द्वारा धारण डराय छे. तैक्स शरीर हरेद्र संसारी भुवने होय छे खने ते खौहारिङ डे पैडियनी अंदर रहेसुं होय छे. भुवने होय छे रखने ते खात्मा १ अर्मला शरीर पाए हरेद्र संसारी साथे खोतप्रोत थयेलुं होय. . छे.. १ डोर्धपत्र भुव, मरए। पामे त्यारे तेनुं जौहारिङ के वैडिय शरीर पड़ी भय छे , पए। तैक्स रखने डार्मए। - से जे शरीरो तो तेनी साथै नरहे छे. क्यारे संसारी भुव दुर्मोनो नाश झरी मुक्तिने यामे त्यारे खेडेय शरीर तेनी साधे न रहे. इंडत 'खात्मा' ४ मुक्तिमा भय. खपगाहुना (यार्ध) 9 12. धन्य उत्कृष्ट (खोछामां खोछी) (पधारेगां पधारे) १ अंयार्धनं श्रेष्टङ नीचे प्रमाएो छे ८ ४५ = १ संगुल २. पेंत च.१ हाथ २००० धनुष्य = १ 47 • १२ अंगुल ४. हाथ = ४ गाउ पेंत = १ १. धनुष्य = 9.211881. सघणां भपोनी ४धन्य अवगाहुना संगुलना असंख्यातमा लाग केटली होय छे. (नोंध : हेवो जने नारडोनी ४धन्य1- संभुलना संख्यातमा लागनी खपगाहुना उत्पत्तिना प्रथम समयनी जपेक्षाने समभवी.) सघनां खपर्याप्त भयोनी उत्कृष्ट खवगाहुना पए। संगुसना खसंख्यातमा लाग भेटेली होय छे. सघनां पर्याप्त भुवोनी उत्कृष्ट जयगाहुना खलग-अलग होय छे.

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