Book Title: Jeevvichar
Author(s): J R Shah
Publisher: J R Shah

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Page 372
________________ 3५९ (20) No = 9 खाए। प्राएाथी : शासनं रंधन थवाथी, डोर्घ गणे शंसो घाले तो श्वासनं रंधन थाय छे. अथवा गणा डे नाडमां कोर्ध प्रडारनी खाजीली ओली थाय तो पश्वासनं रंधन थाय छे. वजी रोगाहि डारगोने पाए। श्वासनं रंधन थाय छे खने तेथी शीघ्र आयुष्यनो नीयने छे. नेने खाने लोड-व्यवहारमां क्षय थाय छे रखने मरा हार्ट-सेटेड (heart attack) नां नामथी खोजजाये छे. उपर नगावेल डागोने 'उपक्रम' उपाय छे. खावां उपभो लागवांछतां यहा के, खायुष्यमां लेशमात्र घटाडो न थायते "सनपर्वत, आयुष्य 'निश्पक्रम' खायुष्य इहेपाय खने खावां उपभो लागवाथी ने खायुष्यमां घराडो थाय - कल्ही लोगवा भय ते 'खपर्वतन' खायुष्य 'सोपक्रम' सायुष्य हेवाय. (G) सनपर्वतन खायुष्य गाढ़ निडायित अंध पडे अंधायेल होय छे, तेथी गमे तेवा संभेगोमां-भरगांत उष्टरोमां पए। खायुष्य घटतुं नथी. क्यारे खपर्पतन् जायुष्य, तथाविध अध्यवसायना डारगे जयर्वतन् यामे घटी भय, ते रीते ? जंघायल होय छे... हात: : प्रलु वीर, जनव्यपर्तन् खायुष्यवाणा हुता. तेथी पराजय झेंड्यं तो पाए निर्वाएरा (मृत्यु) न पाम्या . डाजय खापएगा ठेवा संपपर्तन् जायुष्यवाणाना माथा पर झेंडयामां जाये तो तत्झण मृत्यु धर्ध भय. अहाय जीभ प० वर्ष भुववानुं नाडी होय तो पाएगा। नत्झण मृत्यु धर्ध भय, ते पजते अंतर्मुहूर्तमां 'खायुष्यतां जधां पु‌गलों, सेड साधे लोगवा भय। संगमे माथा भ्यारे तेयुं જ हेव, नारङ, युगलिङ मनुष्य, युगलिङ निर्यय, तिथंडर, सरमहेही (खा लपे, मोक्षे ४नार), यवर्ती, पासुहेव, अहेव, प्रतिवासुदेव, नारभ कोरे खनयवर्तन् खायुष्यवाणा होय छे. ते सिवायनां भवोमां डेटलाए जनपपर्तन् खायुष्यवाणां पा होय रमने डेलांड खपवर्तन खायुष्यवानां पग होय. जन्यवर्तन् खायुष्यवाणां भुवो पूरेपूरुं खायुष्यं (डान खायुष्य) लोग वे रखने अपवर्तन खायुष्यवाणां भवोने उपक्रम लागे छे सने पूरेपुरुं खायुष्य (डाण खायुष्य) लोगपी शडतां नथी. Date KOKUYO W-N6280U

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