Book Title: Jeevvichar
Author(s): J R Shah
Publisher: J R Shah
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No.
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समय शडाय छे. ते उपरांतमां, लग्न भुवनमां भेडायां जाह धनार षट्डाय भुवनी विराधनानो दंड पत्र प्रशंसा डरनारने लागे छे. तैयार toilet - नाथइमनो उपयोग दुरवाथी अथवा स्नाननुं भेलुं पाएगी गटरमा नवायी, असंख्य संमूर्च्छिम भवोनी विराधनामां श्रापडो भेडाय छे. खा विराधनाथी पूरेपूरां खरडं डहाय श्रापड़ो मारे राज्य न बने. परंतु, पालीनो चपराशा घटाडवाथी, खा संमूर्च्छिम भवोनी विराधनाने घटाइपुं, तो अपश्य राज्य छे. ते उपरांत, खा विराधना प्रत्येनो इंज-पश्चाताप व्यक्त डरवा इये तथा खा विराधना साधेनो बाह्य + खांतरिङ connection तोडवा स्वइये, तेनां प्रतीक ३ये हरेड वाजते, स्नान- मात्र खाहि डयाँ जाह, प्रा चार 'वोसिरर्ध, वोसिर, पोसिरर्ध' शब्दो जोलवा. मेथी, थयेल विराधनानो दंड → खोछो लागे. खेटले ४, पौषधमां पए, मात्र परवती येणाखे, श्रावो खा ? शब्दोनो प्रयोग डरे छे...
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मृत्यु जाह, मडहामां पए। जे घडी जाह असंख्य संमूर्च्छिम मनुष्यो पेहा धर्ध भय छे. माटे, घएषां पायली३ आत्माखो मृतÈहनो भल्ही निडास दुरावतां होय छे, राजने खडयानुं पला राजे छे.
इंडमा, खायला (मानवनां) शरीरमांथी छूटी पडती होर्धयल प्रहारनी अशुयिमां (शरीरमां तमाम अशुयि ४ छे - शरीर खेटले अशुचिनो पिंड) जे घडी जाह, संमूर्च्छिम मनुष्यो येहा थवानो संलव छे. माटे, खा विराधना न लागे तेनी पापली३ खात्माखोसे श्रीपरपूर्व अज लेवी भेर्धजे. खूजन
(2) मनुष्योनां ज्ञेयं वस्त्राने घोडा भारीने (3) राज्य जने तो
SOUR
खा उपरांत, गर्लभ संज्ञी पंचेन्द्रिय मनुष्योनी विराधनानो दंड न लागे ते मारे नीये प्रभाएो! डाजम लेवी :
(2)
छायां- पत्रिका पगेरेमां होरायेतां मनुष्योनां यित्रो - छोटाखो लूलथी पग झटी न भय तेनी डाजभं श्रावडोसे अपश्य राजवी. यितरायेतां होय तेवां वस्त्रो पहुंरयां नहीं, तेवां घोपाय या नहीं खने नीयोपाय पए। नहीं. छायां- magazine खाहिमां समायार पांयवानुं अथवा टी.पी. उपर News भेवानुं राजपुं, डारा डे, छायामां - टी.वी.
KOKUYO W-NB280U

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