Book Title: Jainpad Sangraha 01
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 3
________________ ASARASTRAATMASRASTRASTRA श्रीपोतरागाय नमः। जैनपदसंग्रह प्रथमभाग। अर्थात् स्वर्गीय कविवर दौलतरामजीके १२४ पद्रोंका संग्रह। जिसको देवरीनिवासी श्रीनाथूरामप्रेमीने संशोधित किया और मुम्बयीस्थ-जैनग्रन्धरत्नाकरकार्यालयने मुम्बईके निर्णयसागरप्रेसमें वा. रा. घाणेकरके द्वारा छपाकर प्रसिद्ध किया। श्रीवीरनिर्वाण संवत् २४३५ । ईसवी सन् १९०९. तृतीयवार १००० प्रति] [मूल्य ६ आने ।

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 253