Book Title: Jainology Parichaya 03
Author(s): Nalini Joshi
Publisher: Sanmati Tirth Prakashan Pune

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Page 12
________________ (१) स्पर्श के आठ भेद - १) कठिन (hard) २) मूदु (soft) ३) गुरु (heavy) ४) लघु (light) ५) शीत (cold) ६) उष्ण (hot) ७) स्निग्ध (viscous, sticky) ८) रूक्ष (dry, rough) (२) रस के पाँच भेद - १) कडुआ (bitter) २) चरपरा (hot) ३) कसैला (astringent) ४) खट्टा (sour) ५) मीठा (sweet) (३) गन्ध के दो भेद - १) सुगन्ध (pleasant smell) २) दुर्गन्ध (unpleasant smell) (४) वर्ण के पाँच भेद - १) काला (black) २) नीला (blue) ३) लाल (red) ४) पीला (yellow) ५) सफेद (white) (C) कर्मसिद्धान्त (Theory of Karman) (१) कर्म के आठ मुख्य भेद (मूलप्रकृति) - १) ज्ञानावरणीय कर्म २) दर्शनावरणीय कर्म ३) वेदनीय कर्म ४) मोहनीय कर्म ५) आयुष्य कर्म ६) नाम कर्म ७) गोत्र कर्म ८) अन्तराय कर्म (1) ज्ञानावरणीय कर्म के पाँच भेद (उत्तरप्रकृति) - १) मति-ज्ञानावरणीय-कर्म ४) मन:पर्याय-ज्ञानावरणीय-कर्म २) श्रुत-ज्ञानावरणीय-कर्म ५) केवल-ज्ञानावरणीय-कर्म ३) अवधि-ज्ञानावरणीय-कर्म (II) दर्शनावरणीय कर्म के नौ भेद (उत्तरप्रकृति) - १) चक्षु-दर्शनावरणीय-कर्म ६) निद्रानिद्रा २) अचक्षु-दर्शनावरणीय-कर्म ७) प्रचला ३) अवधि-दर्शनावरणीय-कर्म ८) प्रचलाप्रचला ४) केवल-दर्शनावरणीय-कर्म ९) स्त्यानगृद्धि ५) निद्रा

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