Book Title: Jainology Parichaya 03
Author(s): Nalini Joshi
Publisher: Sanmati Tirth Prakashan Pune
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अकारान्त पुं. 'वीर' शब्द
विभक्ति
एकवचन
अनेकवचन
प्रथमा (Nominative)
वीरो, वीरे (एक देव)
द्वितीया (Accusative)
वीरं
तृतीया (Instrumental)
पंचमी (Ablative)
वीरा (अनेक देव) वीरे, वीरा (वीरों को) वीरेहि, वीरेहि (वीरों ने) वीरेहितो (वीरों से) वीराण, वीराणं (वीरों का)
वीरेसु, वीरेसुं (वीरों में,वीरों पर) वीरा (हे वीरों !)
(वीर को) वीरेण, वीरेणं (वीर ने) वीरा, वीराओ (वीर से) वीरस्स (वीर का) वीरे, वीरंसि, वीरम्मि (वीर में, वीर पर) वीर (हे वीर !)
षष्ठी (Genitive)
सप्तमी (Locative)
संबोधन (Vocative)
देव, राम, जिण (जिनदेव), धम्म (धर्म), वाणर (बंदर, वानर), सीह (सिंह), सूरिय (सूर्य), चंद (चंद्र), गय (गज, हाथी), समण (श्रमण), वण्ण (वर्ण, रंग), हत्थ (हाथ), लोग (लोक), मेह (मेघ), आस (अश्व, घोडा), सरीर (शरीर), वग्घ (वाघ), ईसर (ईश्वर), कोव (कोप), आयरिय (आचार्य), कडय (कटक, सैन्य) ये सब अकारान्त (अंत में 'अ' स्वर आनेवाले) पंलिंगी शब्द उपरोक्त 'वीर' शब्द के अनुसार लिखिए ।
नाम-विभक्ति
(Case-declension)
(१) प्रथमा विभक्ति : (Nominative) कर्ताकारक
(यहाँ वाक्य का 'कर्ता' प्रथमा विभक्ति में है ।)
१) किंकरो अडं खणइ ।
नौकर कुआँ खनता है।
२) वाणरा रुक्खेसु वसंति ।
बंदर वृक्ष पर रहते हैं।

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