Book Title: Jainology Parichaya 03
Author(s): Nalini Joshi
Publisher: Sanmati Tirth Prakashan Pune

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Page 37
________________ पुरुष प्रथम पुरुष द्वितीय पुरुष तृतीय पुरुष पुरुष प्रथम पुरुष द्वितीय पुरुष तृतीय पुरुष पुरुष प्रथम पुरुष द्वितीय पुरुष तृतीय पुरुष एकवचन एज्जा, एज्जामि एज्जा, एज्जासि, एज्जाहि ए, एज्जा ४) कर - करना । विध्यर्थ के प्रत्यय विध्यर्थ धातु (क्रियापद) : गच्छ (जाना एकवचन गच्छेज्जा, गच्छेज्जामि गच्छेज्जा, गच्छेज्जासि, गच्छेज्जाहि गच्छे, गच्छेज्जा सर्वनामसहित विध्यर्थ के क्रियारूप क्रियापद : भक्ख (खाना) एकवचन (अहं) भक्खेज्जा, भक्खेज्जामि । (मैं खाऊँ ।) १) अहं सयंनिब्भरं होज्जामि / होज्जा । मैं स्वयंनिर्भर होऊँ । २) अम्हे धम्मस्स पहावणं करेज्जाम । हम धर्म की प्रभावना करें । अनेकवचन एज्जाम एज्जाह एज्जा ३) वट्ट - रहना । तुमं विणएण वट्टेजा/वट्टेज्जासि/वट्टेजाहि । तुम को विनय से रहना चाहिए । (तुमं) भक्खेज्जा/भक्खेज्जासि/भक्खेज्जाहि । (तुम खाओगे ।) (सो) भक्खे / भक्खेज्जा । ( वह खाये ।) कुछ प्राकृत क्रियापद (धातु) और उनके विध्यर्थक वाक्य तुम्हे अज्झयणं करेज्जाह । तुम सबको अध्ययन करना चाहिए । अनेकवचन गच्छेज्जाम गच्छेज्जाह गच्छेज्जा अनेकवचन (अम्हे) (हम खायें ।) (तुम्हे) भक्खेज्जाह । (तुम सब खाओगे ।) (ते) भक्खेज्जा । (वे खायें ।) भक्खेज्जाम ।

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